रायपुर। अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति और छत्तीसगढ़ किसान आंदोलन के आह्वान पर प्रदेश के कई किसान संगठनों ने आज किसान विरोधी कानूनों को वापस लेने की मांग को लेकर जगह-जगह धरना प्रदर्शन किया. इसके साथ ही मोदी और अंबानी के पुतले जलाए गए. इसके साथ ही माकपा, सीटू सहित अन्य वामपंथी पार्टियों और विभिन्न ट्रेड यूनियन नेताओं ने अन्य संगठनों के साथ मिलकर एकजुटता की कार्यवाही की और किसानों की मांगों का समर्थन करते हुए उनके आंदोलन पर दमन की निंदा की. मोदी सरकार की हठधर्मिता के आगे झुकने से इंकार करते हुए आज प्रदेश के किसान संगठनों ने अपने आंदोलन को और तेज करने की घोषणा की है.
छत्तीसगढ़ किसान आंदोलन के संयोजक सुदेश टीकम और छत्तीसगढ़ किसान सभा के अध्यक्ष संजय पराते ने पूरे प्रदेश में हुए किसान आंदोलन को सफल बताया है. राजनांदगांव, कोरबा, सूरजपुर, सरगुजा, मरवाही, रायगढ़, रायपुर, बस्तर, बलौदाबाजार, कांकेर, बिलासपुर, गरियाबंद जिलों सहित अन्य जिलों में किसानों के सड़क पर उतरकर इन कानूनों का विरोध करने की जानकारी देते हुए उन्होंने बताया कि दुर्ग, रायपुर, कोरबा, बिलासपुर सहित कई जिलों में समाज के अन्य तबकों द्वारा एकजुटता की कार्यवाही भी की गई है. किसान संघर्ष समन्वय समिति के कार्यकारी समूह के सदस्य हन्नान मोल्ला ने प्रदेश में आज हुए व्यापक आंदोलन के लिए किसान समुदाय और छत्तीसगढ़ किसान आंदोलन के नेताओं को बधाई दी है.
किसान आंदोलन के नेताओं ने संघी गिरोह द्वारा इस आंदोलन को बदनाम करने के लिए व्हाट्सएप्प यूनिवर्सिटी के दुष्प्रचार और ओछी हरकतों की तीखी निंदा की है. उन्होंने कहा कि इससे किसान न टूटने वाले हैं और न झुकने वाले, बल्कि इससे इन कानूनों को मात देने के लिए किसानों की एकता और संकल्प और मजबूत होगा. उन्होंने कहा कि ये कानून देशी-विदेशी कॉरपोरेटों और एग्रो-बिज़नेस कंपनियों की तिजोरी भरने के लिए बनाए गए हैं और सरकार द्वारा प्रस्तावित संशोधनों से इन कानूनों का मूल चरित्र नहीं बदलने वाला है. इसलिए इन कानूनों को वापस लिए जाने और सी-2 लागत का डेढ़ गुना न्यूनतम समर्थन मूल्य सुनिश्चित करने का कानून बनाने की मांग देश के किसान कर रहे हैं. वे अपनी इस जायज मांग को सुनाने के लिए दिल्ली जाने के लिए पिछले बीस दिनों से सड़कों पर बैठे हुए हैं और 15 से ज्यादा किसान अपनी जान गंवा चुके हैं. उन्होंने कहा कि मोदी सरकार की लाठी, गोलियों और दमन का पूरे साहस के साथ किसान आंदोलन मुकाबला करेगा.
छत्तीसगढ़ किसान आंदोलन ने जिओ उत्पादों, अम्बानी-अडानी के मॉल्स और पेट्रोल पम्पों के बहिष्कार की भी अपील आम जनता से की है. किसान आंदोलन के नेताओं ने कहा है कि यदि मोदी सरकार इन किसान विरोधी कानूनों को वापस नहीं लेती, तो किसान संगठन भी अपना आंदोलन वापस नहीं लेंगे. कॉर्पोरेटपरस्त मोदी सरकार के खिलाफ संघर्ष और तेज किया जाएगा.