अमित पाण्डेय खैरागढ़। खैरागढ़ जिले में शनिवार को श्री सीमेंट परियोजना के विरोध में बड़ा जन आंदोलन देखने को मिला. आक्रोशित प्रदर्शनकारियों ने हजारों की संख्या में पहुंचकर प्रस्तावित सण्डी चूना पत्थर खदान और सीमेंट प्लांट के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया. प्रदर्शन के दौरान पुलिस ने प्रदर्शनकारियों पर लाठी चार्ज की, जिससे स्थिति तनावपूर्ण हो गई. प्रदर्शनकारियों ने रास्ता रोक रहे कई पुलिस वालों को दौड़ा दिया.


बता दें, सैकड़ों गांवों से हजारों की संख्या में महिला, युवा और बुजुर्ग 200 से अधिक ट्रैक्टर–ट्रॉलियों के विशाल काफिले के साथ छुईखदान की ओर रवाना हुए. पुलिस ने छुईखदान की सीमा पर किसानों की रैली को रोकने की कोशिश की, लेकिन ग्रामीण पैदल ही आगे बढ़ते हुए एसडीएम कार्यालय पहुंच गए और 11 दिसंबर को प्रस्तावित जनसुनवाई रद्द करने की मांग का ज्ञापन सौंपा.
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ग्रामीणों के विरोध को मजबूती इस बात से भी मिल रही है कि प्रस्तावित खदान क्षेत्र से 10 किलोमीटर दायरे में आने वाले 39 गांवों ने परियोजना के खिलाफ औपचारिक लिखित आपत्ति दी है. सण्डी, पंडारिया, विचारपुर और भरदागोड़ पंचायतों ने ग्रामसभा प्रस्ताव पारित कर स्पष्ट कर दिया है कि वे किसी भी कीमत पर चूना पत्थर खदान को मंजूरी नहीं देंगे. ग्रामीणों का कहना है कि खदान शुरू होने से जलस्रोत सूखने, खेती-किसानी प्रभावित होने, पशुपालन पर खतरा मंडराने और पर्यावरण को भारी नुकसान पहुंचने का अंदेशा है. स्थानीय लोगों ने जनसुनवाई प्रक्रिया को भी अपारदर्शी बताया है और कहा कि प्रभावित गांवों की वास्तविक राय को नज़रअंदाज़ किया गया है.
इधर, विरोध की गर्मी एसडीएम कार्यालय तक ही सीमित नहीं रही. ग्राम विचारपुर, बुंदेली, पंडरिया और संडी के किसानों ने ज्ञापन सौंपने के बाद अचानक राजनांदगांव–कवर्धा मुख्य सड़क जाम कर दिया, जिससे क्षेत्र में अफरा-तफरी का माहौल बन गया. बड़ी संख्या में ग्रामीणों, किसानों और महिलाओं की मौजूदगी से हालात तनावपूर्ण हो गए. भीड़ को नियंत्रित करने की कोशिश में पुलिस को लाठीचार्ज तक करना पड़ा, जिसके बाद स्थिति और अधिक तनावपूर्ण हो गई. प्रदर्शनकारी ग्रामीणों का साफ कहना है कि उनका संघर्ष तब तक जारी रहेगा, जब तक 11 दिसंबर की जनसुनवाई रद्द नहीं होती और श्री सीमेंट परियोजना से जुड़े निर्णय वापस नहीं लिए जाते. प्रशासन अलर्ट पर है और एसपी सहित जिले के वरिष्ठ अधिकारी मौके पर भारी पुलिस बल के साथ स्थिति पर नजर बनाए हुए हैं.
ग्रामीण आंदोलन अब केवल भूमि या पर्यावरण का मुद्दा नहीं रहा, बल्कि स्थानीय लोगों के अस्तित्व, आजीविका और भविष्य की सुरक्षा का बड़ा संघर्ष बन गया है. हजारों किसानों का शक्ति प्रदर्शन यह स्पष्ट संकेत है कि जनता अपनी जमीन और जलस्रोतों पर किसी प्रकार का समझौता करने के लिए तैयार नहीं है.
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