सत्यपाल राजपूत, रायपुर. राज्य सरकार के प्रस्तावित फिल्म सिटी का अब विरोध जोर पकड़ने लगा है. मंगलवार को फिल्म विकास निगम के पूर्व अध्यक्ष राजेश अवस्थी ने इसका खुलकर विरोध किया. उन्होंने कहा कि मरीज के मर्ज को जाने बैगर इलाज करना जितना खतरनाक होता है उतना ही खतरनाक बिना रायशुमारी के फिल्म सिटी का प्रस्ताव है. यह पैसे की बर्बादी है, पहले प्रदेशभर में थिएटर बनाया जाए, फिर बाद में फिल्म सिटी.

राजेश अवस्थी ने कहा कि मुझे एक साल का अवसर मिला था, उतने समय में मैं लोकेशन चिन्ह अंकित कर जो ज़रूरी क़दम था वह उठाया और सरकार को भेजा, लेकिन प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बने हुए एक साल हो गए लेकिन फ़िल्म को लेकर कोई भी बड़े क़दम नहीं उठाया गया है ना ही फ़िल्मी कलाकारों को तवज्जो दिया. अगर राज्य उत्सव या अन्य उत्सव की बात करें तो इसमें भले ही बाहरी कलाकारों को बैन किया गया है, लेकिन इसमें प्रदेश के फ़िल्मी कलाकारों की उपेक्षा लगातार जारी है.

मैं संस्कृति मंत्री से कहना चाहता हूं कि हमें अभी फ़िल्म सिटी की ज़रूरत नहीं है, पहले थियेटर की ज़रूरत है. लोगों को दूर-दूर तक फ़िल्म देखने के लिए भटकना पड़ता है. ये हमारी पहली आवश्यकता है, जिसे आपको पूरी करनी चाहिए.

बाहर जाके शूट करने में हमें कोई दिक़्क़त नहीं है ना ही हमें अपनी बारी के लिए ज़्यादा इंतज़ार करना पड़ता है. इससे बजट में ज्यादा प्रभाव नहीं पड़ता, अगर आप फ़िल्मी दुनिया का विकास चाहते हैं तो यहां के जो प्राइम लोकेशन है वहां फ़िल्म शूट को फ़्री कर दीजिए यहां दूसरे प्रदेश से जो शूट करने आते हैं, उनसे पैसा लीजिए. बाक़ी हम अपनी व्यवस्था के अनुसार देख लेंगे.

मंत्रीजी ने क़िससे चर्चा कर ये फैसला लिए हैं, ये हमें जानकारी नहीं है. फिल्म सिटी की प्रस्ताव की बात सामने आई तो सभी-निर्माता फ़ेसबुक में अपनी नाराज़गी ज़ाहिर किए हैं. सभी ने कहा कि हम ये फ़िल्म सिटी नहीं थियेटर की ज़रूरत है,  जब सभी जगह फ़िल्में लगनी शुरू हो जाए. उसके बाद फ़िल्म सिटी बनाएं. पहले से बनाकर बजट को अन्यथा वेस्ट न करें.

गौरतलब है कि राज्य का पहला फिल्म सिटी नवा रायपुर के पुरखौती मुक्तांगन के पास बनाने का प्रस्ताव भेजा गया है. फिल्म सिटी के लिए 250 सौ एकड़ में प्रस्तावित है. इसमें फिल्म ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट भी खोला जाएगा.