पटना । राजधानी के नालंदा मेडिकल कॉलेज अस्पताल में शनिवार को पीजी इंटर्नशिप छात्रों ने स्टाइपेंड बढ़ाने की मांग को लेकर मुख्य गेट पर जोरदार विरोध प्रदर्शन किया। छात्र-छात्राओं ने कहा कि बिहार सरकार हर तीन साल में मेडिकल छात्रों के स्टाइपेंड की समीक्षा करती है, लेकिन पिछले पांच साल से उनका स्टाइपेंड अभी तक रिवाइवल नहीं हुआ है। छात्रों ने यह भी बताया कि पांच साल पहले उन्हें 20,000 स्टाइपेंड मिलता था, जो आज भी वही है, जबकि अन्य राज्यों में मेडिकल छात्रों को इससे दुगना स्टाइपेंड दिया जा रहा है।
बिहार में नहीं हुआ सुधार
प्रदर्शन कर रहे छात्रों का कहना था कि यह फर्क उन्हें मेडिकल शिक्षा में आने वाले खर्चों और जीवन यापन की कठिनाई को देखते हुए सही नहीं लगता। दूसरे राज्यों में मेडिकल छात्रों को अधिक वित्तीय सहायता मिल रही है, लेकिन बिहार में छात्रों की स्थिति में कोई सुधार नहीं हुआ। यह असमानता छात्रों में असंतोष और तनाव का कारण बन रही है। प्रदर्शनकारियों ने सरकार से जल्दी से इस मामले में कदम उठाने की मांग की।
स्वास्थ्य मंत्री से मुलाकात
छात्रों ने बताया कि अपनी मांगों को लेकर वे पहले भी बिहार के स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे से मिल चुके हैं, लेकिन अब तक इस मुद्दे पर कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए। मंत्री से मुलाकात के बावजूद उनकी मांगों पर कोई ध्यान नहीं दिया गया। इसके विरोध में छात्रों ने एक चेतावनी दी है कि यदि दो दिन के भीतर उनका स्टाइपेंड नहीं बढ़ाया जाता है तो वे अस्पताल परिसर में ओपीडी और मेडिकल संबंधित कार्यों को ठप कर देंगे। यह अल्टीमेटम छात्रों ने अस्पताल प्रशासन को दिया है, जिससे स्थिति और तनावपूर्ण हो सकती है।
मेडिकल सुपरिन्टेंडेंट का बयान
नालंदा मेडिकल कॉलेज अस्पताल की मेडिकल सुपरिन्टेंडेंट डॉ. रश्मि प्रसाद ने इस प्रदर्शन पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि उन्हें छात्रों की ओर से इस संबंध में कोई लिखित आवेदन प्राप्त नहीं हुआ है। उन्होंने कहा कि यह मामला अस्पताल प्रशासन द्वारा देखा जाएगा और वे जल्द ही मेडिकल छात्रों से बातचीत करेंगे। डॉ. प्रसाद ने यह भी कहा कि इस मुद्दे को हल करने के लिए वे छात्रों से संवाद का प्रयास कर रहे हैं।
अस्पताल प्रशासन के लिए चुनौती
यह प्रदर्शन प्रशासन के लिए एक चुनौती बनकर सामने आया है। छात्रों का गुस्सा बढ़ता जा रहा है, और यदि उनकी मांगें नहीं मानी जातीं तो अस्पताल में चिकित्सा सेवाओं का प्रभावित होना तय है। ऐसे में प्रशासन को इस मुद्दे का हल जल्दी से जल्दी निकालने की आवश्यकता होगी, ताकि छात्रों का विश्वास बना रहे और अस्पताल की कार्यप्रणाली भी सुचारू रूप से चलती रहे।
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