नई दिल्ली। भारत ने पखवाड़े भर पहले कोरोनावायरस के दो टीकों कोवोवैक्स और कोर्बिवैक्स के आपातकालीन इस्तेमाल को मंजूरी दी थी. ये दोनों वैक्सीन प्रोटीन आधारित वैक्सीन हैं. कोवोवैक्स का निर्माण एक तरफ अमेरिकी कंपनी नोवावैक्स ने किया है, वहीं कोर्बिवैक्स को भारत की बायोलॉजिकल ई ने बनाया है.

कोरोना की वैक्सीन बनाने की होड़ में दुनिया की तमाम फार्मास्यूटिकल कंपनियों ने अलग-अलग राह अपनाई है. अमेरिका की फाइजर और मॉडर्ना मैसेंजर आरएनए (mRNA) वैक्सीन है, जबकि ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका की कोविशील्ड और जॉनसन एंड जॉनसन के टीके वेक्टर बेस्ड वैक्सीन हैं. इसके अलावा भारत बायोटेक द्वारा निर्मित कोवाक्सिन डेड वायरस पर आधारित है.

बता दें कि प्रोटीन बेस्ड वैक्सीन कई और बीमारियों के इलाज में लंबे समय से इस्तेमाल होती आई हैं. चाहे वह इन्फ्लुएंजा हो, टिटनस हो या कोई और वायरस से फैलने वाली बीमारी. प्रोटीन बेस्ड वैक्सीन्स को संक्रमण रोकने में ज्यादा प्रभावी, सुरक्षित और कारगर माना जाता है. साथ ही इनके साइड इफेक्ट्स भी दूसरी तकनीक पर बने टीकों से कम होते हैं.

अब इसमें प्रोटीन बेस्ड वैक्सीन भी शामिल हो गई है. वैज्ञानिकों का मानना है कि जैसे-जैसे प्रोटीन बेस्ड वैक्सीन का प्रसार बढ़ेगा, वैसे ही पूरी दुनिया के टीकाकरण अभियान में तेजी आएगी. वैज्ञानिकों का कहना है कि इन वैक्सीन्स के निर्माण का खर्च मौजूदा वेक्टर या एमआरएनए टीकों के मुकाबले काफी कम है. वहीं प्रोटीन बेस्ड टीकों को दो से आठ डिग्री सेल्सियस तक के तापमान पर भी रखा जा सकता है, जिसकी वजह से इन्हें अफ्रीका के गरीब देशों में पहुंचाना भी आसान होगा.

प्रोटीन आधारित कोरोना वैक्सीन्स में कोविड-19 वायरस के स्पाइक प्रोटीन का अंश या हूबहू इसके जैसा दिखने वाला नैनोपार्टिकल मौजूद रहता है. यह नैनोपार्टिकल इंसान के शरीर में जाने के बाद प्रतिरोधक क्षमता को तैयार कर देता है. इसका असर यह होता है कि जब असल कोरोनावायरस का स्पाइक प्रोटीन इंसानी शरीर को निशाना बना कर वायरस को फैलाने की कोशिश करता है, तो इम्यून सिस्टम उसे पहचानकर एंटीबॉडीज तैयार कर लेता है और स्पाइक प्रोटीन की वायरस को फैलाने की कोशिश को खत्म कर देता है.

प्रोटीन बेस्ड वैक्सीन में असली वायरस का डीएनए मौजूद नहीं होता, जिससे यह कोई साइड इफेक्ट पैदा नहीं करतीं. लेकिन इनका असर सिर्फ वायरस के स्पाइक प्रोटीन पर ही निर्भर नहीं करता। वैक्सीन को ज्यादा प्रभावी बनाने के लिए निर्माता इनमें एड्जुवेंट्स जोड़ देते हैं, जो कि इनके असर को तेज और मजबूत कर देती हैं.