शिखिल ब्यौहार, भोपाल. भोपाल के प्रस्तावित मास्टर प्लान 2031 को लेकर सरकार के खिलाफ अर्बन एक्सपर्ट, पर्यावरण विद्, वन्यप्राणी प्रेमी समेत सामाजिक संगठन एक हो गए हैं। दरअसल, बीते दिनों नगरीय विकास एवं आवास मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने मास्टर प्लान को नए सिरे से तैयार करने का फरमान सुनाया था। शहर के जागरूक नागरिकों ने आशंका जताई है कि बेशकीमती जमीनों के फेर में मास्टर प्लान में गड़बड़ी की यह सरकारी तैयारी है। इसके अलावा टीएंडसीपी एक्ट के तहत भी अब मास्टर प्लान को रद्द नहीं किया जा सकता।
अर्बन एक्सपर्ट कमल राठी ने बताया कि नए मास्टर प्लान के लिए पूरा शहर एकजुट हुआ। मास्टर प्लान के प्रारूप प्रकाशन में बड़े स्तर पर अफसरों और नेताओं ने मिलीभगत कर ऐसे प्रावधान किए जो शहर के लिए घातक साबित होते। लिहाजा इसका विरोध भी बड़े स्तर पर हुआ। सरकार की ओर से बुलाई गई दावे-आपत्तियों में जागरूक जनता ने अपनी बात रखी तब जाकर बीते साल शहर को आदर्श मास्टर प्लान का प्रारूप मिला। उन्होंने बताया कि प्रस्तावित मास्टर प्लान का प्रारूप शहर के लिए वरदान से कम नहीं है।
जंगलों की बर्बादी चाहती है सरकार, कैचमेंट और वन क्षेत्रों में नेताओं की नजर
पर्यावरण प्रेमी राशिद नूर खान ने बताया कि प्रस्तावित मास्टर प्लान के प्रारंभिक प्रारूप में जंगलों और कैचमेंट की बर्बादी की पूरी प्लानिंग की गई। बड़ा तालाब कैंटमेंट के 17 गांव गायब कर दिए गए, लालघाटी से बैरागढ़ की ओर चिरायु अस्पताल के पास बड़ा तालाब का हिस्सा नक्शे से हटा दिया गया, बड़ा तालाब की परिधि तक को छोटा किया गया गया। यह सब बेशकीमती जमीनों के लिए मिलीभगत का प्लान था। इसके अलावा बाघ भ्रमण क्षेत्र में रोड का जाल, निर्माण को बढ़ावा देने संबंधित प्रावधान किए गए थे। लंबी लड़ाई के बाद सुधार हुआ। अब नई सरकार के नए मंत्री फिर मनमानी में लगे हुए हैं। सरकार को साफ करना चाहिए कि आखिर इस प्लान से क्या दिक्कत है। ऐसे कई दस्तावेज है जो इस बात को बताते हैं कि जंगल समेत कैचमेंट की बेस्ट कीमती जमीन रसूखदारों के हाथ में है।
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हुजूर के विधायक रामेश्वर चाहते हैं कैचमेंट में निर्माण
अर्बन जानकार देवेंद्र श्रीवास्तव ने बताया कि बड़ा तालाब के कैचमेंट में रोक संबंधित प्रावधान इस मास्टर प्लान में किए गए। बहुत कुछ हद तक कैचमेंट संरक्षण भी इससे संभव होगा। लेकिन, मास्टर प्लान 2031 में इन प्रावधानों को लेकर हुजूर से बीजेपी विधायक रामेश्वर शर्मा लगातार विरोध में रहे। बिल्डरों ने किसानों को आगे किया और आंदोलन भी हुए। लेकिन, यह बात समझनी होगी कि बड़ा तालाब का अस्तित्व ही कैचमेंट एरिया से है। यदि इसे संरक्षित नहीं किया गया तो भोपाल की बर्बादी भी भविष्य में तय मानिए।
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टीएंडसीपी एक्ट के मुताबिक अब नया मास्टर प्लान संभव नहीं
टीएंडसीपी एक्ट के जानकार सुयश कुलश्रेष्ठ ने बताया कि मास्टर प्लान लागू हो जाने के बाद संशोधन हो सकते हैं। भोपाल मास्टर प्लान 2031 में धारा 18 और धारा 19 (1), (2) (3) के तहत प्रक्रिया पूरी हो चुकी है। अब सिर्फ इसे लागू करना ही बाकी रह गया है। इस स्टेज पर आकर पुराने ड्राफ्ट को कैंसिल कर नये ड्राफ्ट की तैयारी में लगना कानून रूप से सही नहीं होगा। जनहित में सरकार के इस निर्णय के खिलाफ जनहित याचिका दायर की जा सकती है।
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