सुप्रिया पाण्डेय, रायपुर. राजधानी के पंडित रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय में हर साल उत्तर पुस्तिका की जांच में गड़बड़ियां सामने आती है. शिकायत के बाद भी इसमें सुधार नहीं हो रहा. जांचकर्ता की गलती का खामियाजा छात्रों को भुगतना पड़ता है. पेपर जांचे बिना ही उन्हें जीरो नंबर दे दिया जाता है. इससे छात्रों को मानसिक प्रताड़ना झेलनी पड़ती है. उन्हें कॉलेज के साथ परिजनों और दोस्तों के ताने सुनने को मिलता है. रविशंकर विवि में एक बार फिर ऐसा ही मामला सामने आया है. दुर्गा कॉलेज की छात्रा कलश साव को बीकॉम फाइनल के कारपोरेट लेखांकन में जीरो नंबर दिया गया है. जब उसने रिटोटलिंग कराई तो उसे फिर से जीरो नंबर मिला.

पेपर में फेल होने के बाद उसने पूरक परीक्षा दिलाया. परिणाम जारी होने के बाद उसे फिर से जीरो नंबर दिया गया. विश्वविद्यालय के इस लापरवाही की शिकायत करने छात्रा दर-दर भटक रही है. लेकिन कही से उसे राहत नहीं मिल रही है.

इस मामले में कुलसचिव गिरीशकांत पाण्डेय ने बताया कि जो शिक्षक पेपर सेट करते हैं और पूर्मल्यांकन भी वहीं करते हैं. उसके हिसाब से नंबर दिया जाता है. बच्चे के पास रेटोटलिंग औऱ पूर्मल्यांकन का अलग-अलग ऑप्शन होता है. वो चाहे तो फॉर्म भर दे. फिर इसका परीक्षण किया जाएगा और गलतियां पता चल जाएगी.