रायपुर- पंडित रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय की बीते साल हुई वार्षिक परीक्षा के पुनर्मूल्यांकन में लापरवाही बरतने का दोषी मानते हुए व्यासनारायण दुबे को विश्वविद्यालय प्रशासन ने निलंबित कर दिया था. महीनों बाद अब विश्वविद्यालय प्रशासन की इस कार्रवाई पर अब सवाल उठ रहे हैं. पूछा जा रहा है कि जब कार्य़परिषद ने उन्हें निलंबित करने की अनुशंसा की ही नहीं, तो फिर किस आधार पर ये कार्रवाई की गई. विश्वविद्यालय प्रशासन से जुड़े सूत्र बताते हैं कि इन तमाम मामलों को लेकर कार्यपरिषद से जुड़े कुछ सदस्यों ने चिट्ठी लिखकर आपत्ति जताई हैं और इस मामले समेत कई ऐसे कई दूसरे अहम बिंदुओं को 5 अक्टूबर को होने वाली बैठक में एजेंडे के तौर पर लिए जाने की मांग की है.
सूत्र बताते हैं कि व्यास नारायण दुबे के मामले की जांच के लिए विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा आतंरिक जांच कमेटी बनाई गई. लेकिन जांच कमेटी के गठन का कोई पैरामीटर नहीं था. जांच कमेटी के गठन की अनुमति कार्यपरिषद से नहीं ली गई. कार्य़परिषद के सदस्य सूत्र बताते हैं कि व्यास नारायण दुबे के निलंबन आदेश में ये लिखा गया कि कार्यपरिषद के निर्णय अनुसार कुल सचिव कार्यालय में अटैच किया जाता है, लेकिन कार्यपरिषद ने ऐसी कोई अनुशंसा नहीं की. बताया ये भी जा रहा है कि पूरे मामले की प्रारंभिक जांच में कार्य में लापरवाही का दोषी माना गया. इसकी प्रशासनिक टीप कार्यपरिषद की बैठक में भी प्रस्तुत की गई, लेकिन टीप किसने लिखी इसका ना तो जिक्र था और ना ही टीप लिखने वाले का दस्तखत.
हालांकि इस गंभीर मामले पर जब लल्लूराम डाॅट काॅम ने कुलपति डाॅ. एस के पांडेय से विश्वविद्यालय प्रशासन का पक्ष जानने की कोशिश की गई, तो उन्होंने फोन नहीं उठाया. इधर विश्वविद्यालय के कुलसचिव धर्मेश साहू ने लल्लूराम डाॅट काॅम से हुई बातचीत में कहा कि सिर्फ एक सदस्य ने आपत्ति की है और वह खुद भी उस दौरान बैठक में मौजूद नहीं थे. कार्य़परिषद का जो फैसला होता है, जरूरी नहीं है कि उसे सदस्य को लिखकर दे. जो भी चर्चा होती है, उसका बाद में विवरण जारी होता है. कार्य़परिषद की बैठक में जो निर्णय़ हुआ था. उसका पालन किया गया, जो बातें आप लोगों से कहीं जा रही है, वह सब झूठी है. कुल सचिव ने कहा कि जिन्होंने आपत्ति की है, उन्हें प्रेस में बताने की बजाए यूनिवर्सिटी में अपनी बात रखनी चाहिए. अनुमोदन पर कार्यपरिषद की बैठक में चर्चा होती है औऱ चर्चा के बाद निर्णय लिया जाता है.