रायपुर. छत्तीसगढ़ में प्रतिवर्ष करोड़ों पौधों के वृक्षारोपण होने के बावजूद 15 वर्षों में जंगल कम होने के मामले में दायर की गई जनहित याचिका के मामले में सोमवार को मुख्य न्यायधीश टी.बी.एन.राधाकृष्णन् और न्यायमूर्ति शरद कुमार गुप्ता की युगलपीठ ने शासन, वन विभाग और वन विकास निगम से तीन सप्ताह में जवाब मांगा है. हरिहर छत्तीसगढ़ अभियान के तहत साल 2017 में कुल 8 करोड 2 लाख पौधे लगाये है, वहीं साल 2016 में 7 करोड़ 60 लाख पौधे लगाये गये, साल 2015 में 10 करोड़ पौधे लगाये जाने का दावा वन विभाग ने किया है.

छत्तीसगढ़ निर्माण के पश्चात् लगातार वृक्षारोपण होने के बावजूद वर्ष 2001 से 2015 तक लगभग 3 प्रतिशत जंगल अर्थात् 3700 वर्ग कि.मी. जंगल कम हो गया है.

याचिकाकर्त्ता रायपुर निवासी नितिन सिंघवी ने कोर्ट को बताया कि वर्ष 1986 में मध्यप्रदेश के समय से जारी प्लानटेशन टेकनीक के अनुसार वृक्षारोपण के लिए जगह का चयन वृक्षारोपण करने के एक वर्ष पूर्व ही कर दिया जाना चाहिये. वैज्ञानिकों के अनुसार गर्मियों में ही वृक्षारोपण हेतु गड्ढें खुद जाने चाहिये. वृक्षों की देखरेख 3 वर्षों तक होनी चाहिये. वन विभाग ने 2013 में निर्देश दिये थे कि हर हालत में 20 जुलाई तक वृक्षारोपण कार्य पूर्ण हो जाना चाहिये. बरसात या विषम परिस्थितियों हो तो 31 जुलाई तक वृक्षारोपण किया जा सकता है लेकिन उसके लिये मुख्यालय से अनुमति लेनी होगी.

याचिका में बताया गया कि 2017 में तो हरिहर कार्यक्रम ही 20 जुलाई को चालू किया गया. जबकि 20 जुलाई तक वृक्षारोपण पूर्ण हो जाना चाहिये था. गर्मियों में गड्ढे खोदने की जगह रायपुर में तो वृक्षारोपण के लिए जगह ढूढ़ने के आदेश ही बरसात चालू होने के बाद 20 जून को दिये गये. धनसुली में अगस्त में वन अधिकारियों ने अपने सामने गड्ढे खुदवा के वृक्षारोपण कराया, आक्सीजोन रायपुर में तो सितम्बर में गड्ढ़े खोदे जा रहे थे. यहां तक कि डिवाईडर में भी सागौन पेड़ों का वृक्षारोपण कर दिया गया. भारत के नियंत्रक एवं महालेखानिरीक्षक ने भी आपत्ति की है कि वृक्षारोपण बिना योजना के कर दिया जाता है, स्थान का ध्यान नही रखा जाता है. वृक्षारोपण के बाद देख-रेख के लिये फण्ड भी नहीं दिया जाता है. याचिका में बताया गया कि वन विभाग मुख्यालय के पास वर्ष 2001 से 2017 के बीच हुऐ वृक्षारोपण के आकड़ों की जानकारी ही नहीं है. बताया गया कि यह जानकारी वन मंडलाधिकारी के पास ही उपलब्ध होती है।.

याचिकाकर्त्ता ने याचिका में मांग की है कि उचित निर्देंश जारी किये जाये. कि वृक्षारोपण वैज्ञानिक तरीके से किया जाये. तथा पौधों की उचित समय तक रख-रखाव एवं मानिटरिंग की जाये.