हेमंत शर्मा, इंदौर। हाईकोर्ट में कोचिंग संस्थाओं को कानून के दायरे में लाने वाली जनहित याचिका पर उच्च न्यायालय ने केंद्र व राज्य सरकार को नोटिस जारी कर चार सप्ताह में जवाब मांगा है। कोचिंग संचालकों द्वारा मनमाने फीस वसूली और फायर उपकरण सहित एक ही शिक्षक द्वारा 50 से अधिक बच्चों को लाख रुपये फीस के बावजूद एक साथ पढ़ाए जाने का मामला।

मध्यप्रदेश सहित पूरे देश में कोचिंग संस्थाओं द्वारा मनमर्जी से फीस वसूली जाती है। बच्चों से लाखों रुपये कुछ महीने व एक वर्ष के लिए वसूल किये जाते हैं। एक बच्चे को तेरह घंटे एक संस्था में परीक्षाओं की तैयारी के नाम पर मशीन में परिवर्तित कर दिया गया है। इन कोचिंग संस्थाओं के स्वयं के नियम कायदे है। ये स्वयं को शासन प्रशासन से ऊपर समझते है। इनको नियंत्रित करने के लिये न तो कोई नियम है ना कोई कानून।

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इन कोचिंग संस्थाओं को कानून के दायरे में लाने के लिये इंदौर के अधिवक्ता प्रवर बार्चे द्वारा उच्च न्यायालय में दायर जनहित याचिका अमन मालवीय विरुद्ध यूनियन ऑफ इंडिया ने बहस की, जिसे सुनवाई हेतु स्वीकार कर जस्टिस सुश्रुत अरविन्द धर्माधिकारी एवं जस्टिस प्रणय वर्मा की डिवीजन बेंच ने यूनियन ऑफ इंडिया व मध्यप्रदेश शासन को नोटिस जारी कर जबाब मांगा है। कोचिंग संस्थानों को नियमित दायरा तय करना होगा। एक ही क्लास में 50 से 60 अधिक बच्चों को पढ़ाया जाता है और मनमानी फीस ली जाती है।

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राजस्थान में अब नहीं चलेगी कोचिंग संस्थानों की मनमानी, राज्य सरकार ने जारी किया गाइडलाइन, कोचिंग छोडऩे पर लौटनी पड़ेगी फीस

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