रायपुर. रायपुर में लगे राष्ट्रीय कृषि मेले में एक प्रेस कांफ्रेंस की गई. लेकिन इस प्रेस कांफ्रेंस में विशेषज्ञों की बातें सुनने में मीडिया की दिलचस्पी कम थी. ज्यादा इस बात पर थी कि मेले में युवराज कब पहुंच रहा है. युवराज का इंतज़ार प्रदेश भर के किसानों को भी है. पशुधन विभाग की ओर से बताया गया कि युवराज अपनी स्पेशल गाड़ी से शाम 4 बजे तक पहुंच जाएगा. लेकिन बाद में पता चला कि रास्ते में युवराज को आराम कराया जा रहा है. इसलिए आने में देरी हो जाएगी.

अगर कोई सेलिब्रिटी देर से पहुंचता है तो थोड़े समय के बाद भीड़ नाराज़ हो जाती है. लेकिन इस सेलेब्रिटी युवराज के इंतज़ार करते हुए किसान जरा भी नाराज़ नहीं है. मेले में आए 25 हज़ार किसान रात तक रुकने को तैयार हैं लेकिन बिना युवराज को देखे नहीं जाने वाले. ख़बर है कि युवराज को रायपुर लाने के लिए स्पेशल प्लेन की व्यवस्था की गई थी लेकिन अनुमति न मिलने की वजह से युवराज सड़क के रास्ते स्पेशल गाड़ी से आ रहे हैं.

युवराज इस मेले की शान बनने जा रहा है. मीडिया युवराज के पहुंचते ही फिर से मेले में पहुंचेगी. सभी चैनलों के रिपोर्टर धड़ा-धड़ा पीटीसी और लाइव करेंगे. कुछ वन टू वन करेंगे. जितनी फोटो युवराज की खींची जाएगी उतनी शायद अब तक मेले में पहुंचे किसी मंत्री या किसी विदेशी विशेषज्ञ की भी न खींची गई हो.

आप सोच रहे हैं कि ये युवराज है कौन जिसका इंतज़ार पूरा छत्तीसगढ़ कर रहा है. जिसकी लोकप्रियता क्रिकेटर युवराज सिंह से भी कम नहीं नज़र आ रही है. तो आपको बता दें कि कई सेलिब्रेटी से ज़्यादा पापुलर हो चुका युवराज एक भैंसा है. जिसके मुरीद पीएम नरेंद्र मोदी भी हैं. इसका एक वीडियो इंटरनेट पर आता है तो उसे करोड़ो लोगों के द्वारा देखा जाता है. हिस्ट्री चैनल, डिस्कवरी समेत कई चैनल इस पर स्पेशल स्टोरी कर चुका है.इसकी लंबाई 9 फीट और ऊंचाई 5 फीट 9 इंच है. इसका वज़न करीब 1500 किलो है. युवराज के आने की तयशुदा समय से पहले कृषिमंत्री बृजमोहन अग्रवाल भी मेले पहुंच गए. उन्होंने कहा कि इस मेले में युवराज को देखने का मौका पहली बार किसानों को मिलेगा.

भैंसों का विक्की डोनर है युवराज

दुनिया की हर महंगी कार से ज़्यादा कीमती है युवराज. इसकी कीमत 9 करोड़ रुपये है. लेकिन इसका मालिक कर्मवीर सिंह इसे बेचने को तैयार नहीं है. हो भी क्यों. हर महीने युवराज उसे 7 लाख रुपये यानी सालाना 80 लाख से ज़्यादा कमाई कराता है. ये देश भर के हर मेले में जाता है. मुर्रा  नस्ल का ये भैंसा भैंसों का विक्की डोनर है. जो 2 लाख से ज़्यादा भैंसों का पिता बन चुका है. इसके सीमन की जबरदस्त डिमांड है. उसकी एक युनिट सीमन से 500 डोज़ एआई के बनाए जाते हैं.

माना जाता है कि इसका सीमेन लेकर कई किसानों ने अपनी आमदनी दोगुनी से ज़्यादा कर ली है. इसके सीमेन से तैयार भैंसे 18 से 20 लीटर दूध देती हैं. इसका बच्चा आमतौर पर 75 किलो वजनी पैदा होता है. जबकि सामान्य भैंसों का बच्चा 40 से 50 किलो का होता है. इसके बच्चों की कीमत 2 से ढाई लाख होती है. अब आप सोच रहे हैं कि आखिर इसकी कीमत क्यों इसकी ज़्यादा है. दरअसल, दूध के उत्पादन के साथ युवराज की बच्चियों का दूध बढ़िया क्वालिटी का होता है. ये लंबे समय तक दूध देती हैं. इनकी शारीरिक बनावट भी शानदार होती है.

युवराज का खुराक

अब आपको बताते हैं युवराज की खुराक के बारे में. युवराज 20 किलो दूध पीता है.करीब 10-12 किलो फल खाता है. हरा चारा, दाने खिलाए जाते हैं. इसके अलावा इसे तीन बार नहलाया जाता है. 5 किलोमीटर सैर कराई जाती है. सरसों के तेल से मालिश की जाती है. युवराज पर हर महीने 25 हज़ार रुपये खर्च किए जाते हैं. इसे कई मेले में दुनिया के बेस्ट भैंसे का अवार्ड मिल चुका है.

युवराज से पहले छत्तीसगढ़ के बाहुबलियों की धूम

बाहुबली पार्ट 1 और पार्ट 2 देखने के लिए दर्शकों को डेढ़ साल से ज़्यादा इंतज़ार करना पड़ा लेकिन कृषि मेले में दो-दो बाहुबली एक साथ दिख रहे हैं. ये बाहुबली कांकरेज नस्ल के दो सांड हैं. जो युवराज से पहले मेले के आकर्षण की जिम्मेदारी संभाले हुए हैं. इनकी ऊंचाई साढ़े पांच फीट से ज्यादा है. इनकी सींगे 2 फीट लंबी है. कांकरेज नस्ल के दोनों सांड छत्तीसगढ़ के हैं.

 

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