रायपुर.जल संसाधन विभाग के नये सचिव सोनमणि बोरा ने विभाग की पहली बैठक में अधिकारियों को आगामी 06 महीने के लिए विशेष वर्किंग प्लान बनाने के निर्देश दिए हैं। बोरा ने आज मंत्रालय में विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों की बैठक में कहा कि विभागीय विकास और निर्माण कार्यों के लिए 06 माह विशेष महत्व है। निर्माण कार्यों में गति लाने के लिए अधिकारी अपने क्षेत्रों में चल रहे कार्यों की सतत निगरानी करें। इसके लिए कार्यस्थलों का नियमित दौरा करना जरूरी है।

सोनमणि बोरा ने निर्माण कार्याें में गतिशीलता और गुणवत्ता लाने के लिए हर सप्ताह एक दिन गुणवत्ता दिवस कार्यक्रम बनाने के निर्देश दिए। निर्माण कार्यो में गुणवत्ता का विशेष ध्यान रखा जाए। उन्होंने कहा कि इस दिन सभी अधिकारी कार्य स्थलों में पहुंचकर निर्माण कार्यों का निरीक्षण करेंगे। बैठक में प्रमुख अभियंता एच. के. कुटारे, विभाग के संयुक्त सचिव खेस्स, ओ.एस.डी. डी.के. झा, मूले सहित मुख्य अभियंता और अधीक्षण अभियंता उपस्थित थे।

बोरा ने बैठक में सबसे पहले विभागीय कार्य प्रणाली की जानकारी ली। उन्होंने छत्तीसगढ़ के सिंचाई जलाशयों की क्षमता के संबंध में विस्तार से चर्चा करने के बाद कहा कि  विभागीय सिंचाई जलाशयों की क्षमता का शत-प्रतिशत उपयोग सुनिश्चित करने के लिए इन जलाशयों में यदि किसी प्रकार का निर्माण कार्य किया जाना हो तो उनकी विस्तृत तैयार की जाए। इसके लिए सभी परियोजना क्षेत्रों का स्थल निरीक्षण करना जरूरी है। उन्होंने कहा कि निर्माण कार्य स्थलों में अधिकारियों का नियमित दौरा होने से निर्माण एजेंसी के साथ बेहतर समन्वय होगा। उन्होनें सिंचाई योजनाओं की प्रगति, उपलब्धियों, गतिविधियों और अन्य निर्माण कार्याें की जानकारी आम लोगों तक पहुंचाने के लिए सोशल मीडिया के बेहतर उपयोग पर जोर दिया। उन्होंने इसके लिए सुव्यवस्थित विभागीय वेबसाइट विकसित करने के निर्देश भी दिए।बोरा ने  प्रदेश के सिंचाई जलाशयों के आस पास इकोटूरिज्म विकसित करने के लिए व्यापक कार्य योजना बनाने के लिए भी अधिकारियों को निर्देशित किया।

सचिव ने बैठक में सिंचाई सुविधाओं के विकास के लिए निर्माणाधीन और नई परियोजनाओं की अद्यतन स्थिति की विस्तृत रिपोर्ट तैयार करने के निर्देश अधिकारियों को दिए। उन्होनें कहा कि पुरानी योजनाओं को पूर्ण करने के साथ ही नई सिंचाई योजनाओं को शुरू करने का कार्य प्राथमिकता से किया जाए। बोरा ने वित्तीय वर्ष 2017-18 में स्वीकृत नई योजनाओं के बारे में विस्तार से जानकारी ली। उन्होंने छत्तीसगढ़ की जल नीति पर चर्चा करते हुए कहा कि जल नीति को एक नियमित अंतराल में अपग्रेड किया जाना चाहिए। सिंचाई के लिए भविष्य की जरूरतों के साथ-साथ औद्योगिक विकास और नई बसाहटों की पेयजल व्यवस्था के लिए मास्टर प्लान तैयार होना चाहिए। इस प्लान को छत्तीसगढ़ की जल नीति में शामिल किया जाए। इसके साथ ही भू-जल के संरक्षण एवं संवर्धन के लिए विशेष कार्य-योजना बनाकर जल नीति के प्रावधानों से जोड़ा जाए।
बोरा ने जल संरक्षण के विशेष महत्व को देखते हुए छत्तीसगढ़ के राज्योत्सव में जल संरक्षण के लिए भी अलंकरण दिए जाने का प्रस्ताव बनाने के निर्देश अधिकारियों को दिए। जल संरक्षण और जल संवर्धन की दिशा में उल्लेखनीय कार्य करने वाले व्यक्ति और संस्था को अलंकरण देने का प्रावधान किया जा सकता है। उन्होंने विभागीय अधिकारी-कर्मचारियों को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से विभाग में भी पुरस्कार योजना शुरू करने के लिए प्रस्ताव बनाने के निर्देश दिए। इस योजना के तहत हर साल राज्य स्तर पर उत्कृष्ट कार्य करने वाले अधिकारियों-कर्मचारियों को पुरस्कृत करने का प्रावधान किया जाए।  बोरा ने विभाग के जलाशयों की जमीनों सहित अन्य जमीनों को विभाग के नाम पर दर्ज कराने के लिए अभियान चलाने के निर्देश भी अधिकारियों को दिए। उन्होंने बैठक में विभागीय अधिकारियों-कर्मचारियों के वित्तीय या अन्य प्रकरणों का निराकरण पूरी संवेदनशीलता के साथ करने के लिए भी निर्देशित किया।