संपादकीय. छत्तीसगढ़ की पवित्र पावन वसुंधरा को यह गौरव प्राप्त है कि उसने अनेक संत महात्माओं रूपी अनमोल रत्नों को जन्म दिया है, जिनकी स्वर्णिम आभा से आज संपूर्ण धरा आलोकित है, रत्नों की इन्हीं श्रृंखला के एक अनमोल रत्न पूज्य बाबा गुरूघासीदास जी हुए, पूज्य बाबा गुरूघासीदास जी एक महान संत हुए जिन्होंने समाज को सद्मार्ग में चलने का ज्ञान दिया. उन्होंने अपने उपदेशों से समाज में सत्य को स्थापित किया, उसे सुदृढ़ता प्रदान की, पूज्य गुरूजी ने जो सात उपदेश समाज को दिये उन्हे हम आदर्श जीवन की आचार संहिता मानते हैं. पूज्य बाबा गुरूघासीदास जी की जयंती 18 दिसम्बर से लेकर दिसम्बर माह के अंत तक हमारे छत्तीसगढ़ राज्य में जयंती उत्सव हर्षोल्लास से मनाया जाता है जिसमें समाज के सभी वर्गों की सहभागिता होती है.
गिरौधपुरी मैं जन्म लने वाले पूज्य बाबा जी का अवतरण मानव कल्याण के लिए हुआ था और यही वजह है उनके जयंती के प्रति सभी के हृदय में श्रद्धा का भाव रहता है, गुरूघासीदास जी जयंती दिसम्बर माह का वह त्यौहार है, जिसका हम सबको इंतजार रहता है। युगपुरूष बाबा घासीदास जी ने जो सतनाम का पौधा रोपा था वह आज हमारी सामने विशाल वृक्ष बनकर सामने खड़ा है और उसकी शीतल छाया में हम निरन्तर आगे बढ़ रहे हैं. पूज्य बाबाजी केवल सतनामी समाज के ही आराध्य नहीं हैं बल्कि सर्वसमाज में उनके प्रति अगाध आस्था है.
बाबाजी के सतनाम आन्दोलन से छत्तीसगढ़ में सामाजिक क्रान्ति का सूत्रपात हुआ. हमारी मातृभाषा छत्तीसगढ़ी में उपदेश देकर छत्तीसगढ़ और छत्तीसगढ़ी की महत्ता को उन्होंने सर्वप्रथम स्थापित किया. कालान्तर में उनके विचार देश देशान्तरों की सीमा पार कर मानव मात्र के लिए कल्याणकारी साबित हुए.
पूज्य बाबा जी ने जाति, धर्म से पर उठकर सम्पूर्ण मानवता की बेहतरी के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया, पूज्य बाबा गुरूघासीदास जी एक महान संत हुए जिन्होंने समाज को सद्मार्ग में चलने का ज्ञान दिया. पूज्य गुरूजी ने जो सात उपदेश समाज को दिये उन्हे आदर्श जीवन की आचार संहिता मानते हैं.
वे सात उपदेश इस प्रकार से है-
(1) सतनाम को मानो (2) मूर्ति पूजा मत करो (3) जातिपाति प्रपंच से दूर रहो (4) मांसाहार मत करो, जीव हत्या मत करो (5) पर स्त्री को माता मानो (6) मदिरा सेवन मत करो (7) अपरान्ह खेत में मत जाओ. उपरोक्त उपदेश का पालन न केवल सतनामी समाज अपितु सर्व समाज के लिये मैं आवश्यक मानता हूं.
महान संत पूज्य श्री गुरूघासीदास जी का व्यक्तित्व और कृतित्व विराट था, तत्कालीन समाज उनकी विद्वता का सम्मान करता था,आज यह आवश्यक है कि पूज्य गुरू बाबा ने सत्य, ज्ञान, अहिंसा, भाईचारा एवं सदाचार का जो संदेश अपने कर्मों के माध्यम से हमारे समक्ष रखा उसका पालन अनुसरण हमारे जीवन का लक्ष्य होना चाहिए. मैं यह बात पूरे विश्वास से कहता हूं कि पूज्य गुरूघासीदास जी ने उपदेश और सिद्धांत तत्कालीन समाज को दिया था वे आज भी प्रासंगिक हैं। महान संत गुरूघासीदास जी ने समाज में सत्य की महत्ता को बतलाते हुए समतामूलक समाज की स्थापना का मार्ग हमें दिखलाया उस पर हमें आगे बढ़ने की आवश्यकता है. आइये हम सब संकल्प लें कि हम सभी पूज्य बाबा गुरूघासीदास जी के बताये हुए मार्ग पर चलकर अपने जीवन के लक्ष्यों की प्राप्ति करेंगे.
हमारे छत्तीसगढ़ में सतनाम पंथ के अनुयायियों की एक बड़ी संख्या है, और मुझे यहां हमारे सतनाम पंथ के भाई-बहनों ने पूज्य बाबाजी के सिद्धांतों को अपनी जीवन शैली से और भी मजबूती प्रदान की है. सतनाम पंथ के उन विशिष्ट महानुभावों का पुण्यस्मरण करता हूं जिनके पावन प्रयासों से सतनाम पंथ विस्तारित हुआ. बस आज के दिवस यही महत्वपूर्ण होगा कि हम पूज्य बाबा गुरूघासीदास जी के सिद्धांतों को उनके उपदेशों को मन, वचन, और कर्म से स्वीकार करते हुए उसे व्यवहारिक रूप देने का प्रयास करें.
लेखक-संदीप अखिल, स्टेट न्यूज़ कार्डिनेटर
लल्लूराम डॉट कॉम