चंडीगढ़। पंजाब के मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी ने कहा कि भाजपा की रैली में बमुश्किल 700 लोग आए और इससे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को ‘अपना कदम वापस लेने’ के लिए मजबूर होना पड़ा और बाद में सुरक्षा खतरों का हवाला देते हुए राज्य सरकार पर दोष मढ़ दिया गया. पंजाब की राष्ट्रवादी साख पर सवाल उठाने वालों को चुनौती देते हुए मुख्यमंत्री चन्नी ने स्पष्ट किया कि पंजाबियों ने कभी भी देश के लिए बलिदान देने से पीछे नहीं हटे और देश में किसी अन्य की तरह देशभक्त हैं.

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प्रधानमंत्री द्वारा फिरोजपुर में भीड़ को संबोधित किए बिना वापस जाने की बुधवार की घटना का जिक्र करते हुए मुख्यमंत्री चन्नी ने माछीवारा कस्बे में कहा कि सच्चाई यह है कि रैली स्थल पर मुश्किल से 700 लोग ही पहुंचे, जिससे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को वापस लौटना पड़ा. उन्होंने कहा कि सच्चाई यह है कि प्रधानमंत्री की निर्धारित रैली से 5 दिन पहले स्पेशल प्रोटेक्शन ग्रुप (एसपीजी) ने लैंडिंग स्पॉट, रैली साइट और सुरक्षा डिटेल को अपने कब्जे में ले लिया था, लेकिन बाद में प्रधानमंत्री के काफिले ने अचानक लैंड रूट ले लिया. सीएम चन्नी ने कहा कि एसपीजी ने मार्ग को मंजूरी दे दी. मुख्यमंत्री चन्नी ने पंजाब के विरोधियों से राज्य को बदनाम करना बंद करने को कहा. उन्होंने सवाल किया कि प्रधानमंत्री के आसपास की खुफिया एजेंसी क्या कर रही थी और क्या उन्होंने प्रधानमंत्री की सुरक्षा के लिए किसी खतरे की धारणा को महसूस किया था. इसी तरह, मुख्यमंत्री ने पंजाब विरोधी ताकतों को बदले की राजनीति से दूर रहने को कहा और उन्हें इस पर विचार करने की सलाह दी कि लोग खासकर किसान उन्हें क्यों पसंद नहीं करते हैं.

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केंद्र सरकार ने बनाई जांच कमेटी

इधर केंद्र ने बुधवार को पंजाब के फिरोजपुर दौरे के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सुरक्षा-व्यवस्था में गंभीर चूक की जांच के लिए एक समिति का गठन किया है. गृह मंत्रालय के प्रवक्ता ने एक सोशल मीडिया पोस्ट में कहा, “गृह मंत्रालय (एमएचए) ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की 5 जनवरी को पंजाब के फिरोजपुर यात्रा के दौरान सुरक्षा-व्यवस्था में गंभीर चूक की जांच के लिए एक समिति का गठन किया है. इस चूक के कारण वीवीआईपी को गंभीर सुरक्षा जोखिम का सामना करना पड़ा. बुधवार को फिरोजपुर में प्रधानमंत्री की रैली को सुरक्षा चूक के कारण रद्द करना पड़ा था, क्योंकि कुछ प्रदर्शनकारियों ने एक मार्ग को अवरुद्ध कर दिया और उनके काफिले को एक फ्लाईओवर पर लगभग 20 मिनट रुकने के लिए मजबूर किया. घटना के वक्त प्रधानमंत्री हुसैनीवाला में राष्ट्रीय शहीद स्मारक जा रहे थे.

 

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने जताई थी कड़ी आपत्ति

3 सदस्यीय समिति का नेतृत्व कैबिनेट सचिवालय के सचिव (सुरक्षा) सुधीर कुमार सक्सेना करेंगे और इसमें इंटेलिजेंस ब्यूरो के संयुक्त निदेशक बलबीर सिंह और विशेष सुरक्षा समूह (एसपीजी) के आईजी एस सुरेश शामिल होंगे. एमएचए (Ministry of Home Affairs) ने कहा कि समिति को जल्द से जल्द अपनी रिपोर्ट सौंपने की सलाह दी गई है. इससे पहले गुरुवार को केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने कहा था कि गृह मंत्रालय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सुरक्षा उल्लंघन की जानकारी जुटा रहा है और इस मामले में कड़े फैसले लेगा. केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने बुधवार को ट्वीट किया था ”गृह मंत्रालय ने पंजाब में पीएम के सुरक्षा उल्लंघन पर विस्तृत रिपोर्ट मांगी है. प्रधानमंत्री की यात्रा में सुरक्षा प्रक्रियाओं की इस तरह की लापरवाही पूरी तरह से अस्वीकार्य है और जवाबदेही तय की जाएगी.”