पंजाब सरकार ने बाढ़ग्रस्त इलाकों में लोगों को राहत देने के लिए केंद्र से एंबुलेंस की मांग की है। साथ ही पाकिस्तान की सीमा से सटे इलाकों में काम कर रहे हेल्थ वर्करों व डॉक्टरों के लिए जोखिम भत्ता शुरू करने का आग्रह किया है।

ऑपरेशन सिंदूर के बाद बढ़े तनाव के चलते इन क्षेत्रों में कर्मियों के लिए काम करना ज्यादा जोखिम भरा हो गया है। इस संदर्भ में राज्य सरकार की ओर से दो प्रस्ताव केंद्र को भेजे गए हैं। पंजाब में आई भीषण बाढ़ के बाद आपदा ग्रस्त इलाकों में राहत कार्य जारी है। सभी जिलों के ग्रामीण क्षेत्र बाढ़ से ग्रस्त थे जबकि ज्यादा मार 14 जिलों में थी। गांवों में बाढ़ का पानी उतरने के बाद बीमारियों को नियंत्रित करने के लिए सरकारी विभाग गंभीरता से जुटे हैं।

पंजाब में 2300 से अधिक गांवों में एक माह से विशेष स्वास्थ्य मिशन के तहत डॉक्टरों, नर्सों, फार्मासिस्टों व हेल्थ वर्करों की टीमें विशेष शिविर लगाकर स्वास्थ्य सेवाएं दे रही हैं जबकि इस मिशन के तहत करीब 550 एंबुलेंस लगाई गई हैं। साथ ही विभिन्न रोगों के लिए 85 से ज्यादा दवाओं व अन्य स्वास्थ्य सुविधा से जुड़ीं चीजों का इंतजाम किया है। इसी विशेष स्वास्थ्य मिशन के चलते पंजाब को फिलहाल एंबुलेंस की कमी खल रही है, क्योंकि विभिन्न जिलों की एंबुलेंस भी अभी बाढ़ ग्रस्त इलाकों में तैनात हैं। ऐसे में राज्य सरकार ने केंद्र सरकार को पत्र भेजकर बाढ़ इलाकों के लिए अलग से एंबुलेंस मांगी हैं।

दूसरा पत्र हेल्थ वर्करों के जोखिम भत्ते से संबंधित है। पाकिस्तान के साथ लगती पंजाब की करीब 553 किलोमीटर लंबी सीमा है। गुरदासपुर, अमृतसर, तरनतारन, पठानकोट, फाजिल्का इत्यादि जिलों की सीमा पाकिस्तान से सटी है। इन बॉर्डर एरिया में काम करने वाले डॉक्टरों व अन्य हेल्थ वर्करों को केंद्र सरकार की ओर से जोखिम भत्ता दिया जाता था जो साल 2021 में बंद दिया गया। बाढ़ की स्थिति और बॉर्डर एरिया में बढ़े तनाव का हवाला देते हुए पंजाब सरकार ने केंद्र से इन कर्मियों के भत्ते को दोबारा शुरू करने को कहा है।