चंडीगढ़. पंजाब सरकार ने किसानों की भावनाओं को प्राथमिकता देते हुए एक बड़ा फैसला लिया है। सरकार ने लैंड पूलिंग स्कीम को पूरी तरह वापस ले लिया है और इसके तहत पिछले तीन महीनों में किए गए सभी कार्यों, जैसे लेटर ऑफ इंटेंट, रजिस्ट्रेशन और अन्य प्रक्रियाओं को भी रद्द कर दिया है। इस स्कीम के तहत 24 हजार एकड़ जमीन अधिग्रहित की जानी थी, जिसके जरिए लुधियाना के पास नई टाउनशिप बसाने की योजना थी। पंजाब सरकार ने इस स्कीम को लागू करते समय दावा किया था कि इससे अवैध कॉलोनियों के कारण होने वाली धोखाधड़ी से जनता को राहत मिलेगी।

इसके तहत सरकारी एजेंसियां सड़क, पानी, सीवरेज, ड्रेनेज और बिजली जैसी आधुनिक सुविधाओं के साथ जमीन का विकास करेंगी। हालांकि, पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने इस नीति पर पहले एक दिन और फिर चार सप्ताह के लिए रोक लगा दी थी। हाउसिंग और शहरी विकास विभाग के प्रमुख सचिव ने 14 मई 2025 को जारी पंजाब लैंड पॉलिसी और उससे संबंधित संशोधनों को वापस लेने का पत्र जारी किया। सरकार ने स्पष्ट किया कि यह फैसला किसानों की नाराजगी और उनकी सहमति के अभाव में लिया गया है।

सरकार ने कहा कि यह कदम दर्शाता है कि पंजाब सरकार के लिए किसान सिर्फ वोटर नहीं, बल्कि परिवार का हिस्सा हैं। जब परिवार का कोई सदस्य असंतुष्ट हो, तो उसकी बात सुनना और फैसला बदलना सच्ची नेतृत्व और संवेदनशीलता की निशानी है। सरकार ने जोर देकर कहा कि वह जिद की राजनीति नहीं, बल्कि विश्वास और भागीदारी की राजनीति करती है।
सरकार ने साफ संदेश दिया कि पंजाब का हर किसान निश्चिंत रहे, उसकी जमीन, उसके अधिकार और उसकी मेहनत की कमाई पूरी तरह सुरक्षित है। सरकार बिना किसानों की सहमति के कोई योजना लागू नहीं करेगी। यह सिर्फ नीति की वापसी नहीं, बल्कि किसानों के साथ विश्वास, सम्मान और भागीदारी के रिश्ते को मजबूत करने का संकल्प है।

मुख्यमंत्री भगवंत मान की सरकार ने एक बार फिर साबित किया कि वह पंजाब की मिट्टी, मेहनत और सम्मान की रक्षा के लिए हमेशा किसानों के साथ खड़ी है। सरकार का कहना है, “किसान खुश तो पंजाब खुशहाल,” और यही उसका सबसे बड़ा लक्ष्य है।