पंजाब में प्रकृति के महाप्रकोप ने पंजाब के 2,300 गांवों को डुबो दिया है। 20 लाख लोग प्रभावित हुए है, जिनमें से 7 लाख लोग बेघर हो गए है। 56 कीमती ज़िंदगियां गई है और अनगिनत सपने टूटे है। यह केवल आंकड़े नहीं है – ये असली ज़िंदगियों से जुड़ी कहानियां है, जो आज भी राहत शिविरों में अपने भविष्य के बारे में सोचकर दुखी हो रहे है।
45 साल की वीरो बाई की कहानी बताए तो फाज़िल्का ज़िले के गुड्डर भैणी गांव में रहने वाली वीरो बाई को 26 अगस्त से राहत शिविर में रहना पड़ रहा है। जब सतलुज नदी का पानी उनके घर में घुसा, तो तीन फुट तक पानी था। वो कहती है, “हमने अपनी छोटी-बड़ी सभी चीजें छोड़कर वहां से निकलना पड़ा।” आज वो और हजारों परिवार अपने घर वापस जाने का इंतज़ार कर रहे है।
यह पंजाब में लगभग चार दशकों की सबसे भयंकर बाढ़ है। 5 लाख एकड़ फसल बर्बाद हो गई है, किसानों के महीनों की मेहनत पलभर में बह गई। 3,200 सरकारी स्कूलों का नुकसान हुआ है, जहां इन बच्चों के सपने जन्म लेते थे। प्रारंभिक अनुमान के अनुसार लगभग 13,800 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है, लेकिन लोगों के दुख और तकलीफों का कोई हिसाब नहीं लगाया जा सकता।
पंजाब सरकार इस आपदा में आशा की किरण बनकर सामने आई है, इस मुश्किल घड़ी में पंजाब सरकार ने दिखाया है कि जनसेवा का मतलब क्या होता है। मुख्यमंत्री भगवंत मान साहब की अगुवाई में सरकार ने तुरंत कार्रवाई शुरू की। राहत और बचाव कार्य में दिन-रात लगी सरकारी टीमों ने हज़ारों लोगों की जान बचाई। राहत शिविर स्थापित किए गए, भोजन और दवाइयों की व्यवस्था की गई।सरकार का तत्काल रिस्पांस सराहनीय रहा है। राहत कार्यों में लगे अधिकारी और कर्मचारी अपनी जान की परवाह न करते हुए लोगों की सेवा में जुटे रहे। यह दिखाता है कि पंजाब सरकार अपने लोगों के साथ है और हर संकट में उनकी ढ़ाल बनकर खड़ी है।
अब वक्त आ गया है कि हम सब मिलकर पंजाब को फिर से खड़ा करे। मुख्यमंत्री भगवंत मान द्वारा शुरू किया गया ‘मिशन चढ़दी कला’ सिर्फ एक अभियान नहीं, बल्कि पंजाब के पुनर्निर्माण का संकल्प है। यह मिशन दिखाता है कि चढ़दी कला की भावना कभी कहीं नहीं जा सकती – न आपदा में, न मुसीबत में।

जैसा कि मुख्यमंत्री जी ने कहा है, “बाढ़ सिर्फ पानी नहीं लेकर आई, बल्कि लाखों सपनों को बहा ले गई”। लेकिन हमें मिलकर इन सपनों को फिर से जगाना है। हर टूटे घर को दोबारा बनाना है, हर बिखरे परिवार को जोड़ना है। और ये तभी सम्भव हो पायेगा जब लोग और पंजाब सरकार एकजुट होकर काम करेंगे सहयोग देंगे, क्यूंकि प्रकृतिक आपदा से लड़ना इतना आसान नहीं, तो सरकार ने एक कदम मिशन चढ़दी कला से बढ़ाया है अब है आपकी बारी।
7 लाख लोग आज भी बेघर है। उनके सिर पर छत नहीं है। हम में से कोई भी इसकी कल्पना नहीं कर सकता कि उन्हें कैसा महसूस होता होगा। प्रकृति के प्रकोप की वजह से बहुत सारे लोगों के साथ यह सब हुआ है। अब उन लोगों को ज़रूरत है आपके साथ की।
आपका एक रुपया भी किसी के लिए उम्मीद बन सकता है। आपका छोटा सा योगदान किसी बच्चे को स्कूल वापिस भेज सकता है, किसी मां को रसोई फिर से जमाने में मदद कर सकता है, या किसी बुज़ुर्ग को दवा दिला सकता है।
सरकार के साथ कंधे से कंधा मिलाएं, पंजाब सरकार हर संभव प्रयास कर रही है इन लोगों का साथ देने के लिए। मिशन चढ़दी कला के तहत सरकार व्यापक पुनर्निर्माण योजना पर काम कर रही है। लेकिन यह काम तभी पूरा हो सकता है जब हम सब मिलकर सरकार के साथ खड़े हो।
अब हमारे पास मौका है कि हम सरकार के साथ कंधे से कंधा मिलाएं। उन लोगों के कंधे पर हाथ रखकर उन्हें एहसास कराएं कि हम आपके साथ है। यही है असली पंजाबियत, यही है चढ़दी कला की सच्ची भावना।हर योगदान मायने रखता है चाहे आप ₹100 दे सके या ₹10,000 – हर राशि मायने रखती है। आपका योगदान सिर्फ पैसा नहीं है, यह प्रेम है, सहानुभूति है, और एकजुटता का संदेश है। यह बताता है कि प्रकृति की मार से भले ही इमारतें गिर जाएं, लेकिन इंसानियत और भाईचारा कभी नहीं गिरता।
मिशन चढ़दी कला में योगदान करके आप न सिर्फ पंजाब के पुनर्निर्माण में भागीदार बनेंगे, बल्कि एक बेहतर समाज के निर्माण में भी अपना योगदान देंगे। आइए, मिलकर पंजाब को फिर से उसकी पूरी शान के साथ खड़ा करें।
एक बार फिर खुद को याद दिलाना है
कि पंजाब का मतलब पंजाब नहीं चढ़दी कला में रहना और दूसरों को रहना सिखाना है!
आपका छोटा सा कदम, किसी की पूरी ज़िंदगी बदल सकता है।
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