चंडीगढ़। आज के बदलते समय में लिव इन रिलेशनशिप आम बात हो गई है. इसके बावजूद अभी भी समाज इसे सहजता से नहीं अपना पा रहा है. पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने इस पर एक बड़ी टिप्पणी की है. हाईकोर्ट ने लिव-इन कपल को सुरक्षा दिए जाने का आदेश देते हुए कहा कि समय तेजी से बदल रहा है और हमें भी उसके मुताबिक ढलने के लिए तैयार रहना होगा. हाईकोर्ट ने कहा कि रूढ़िवादी नजरिए को बदलना होगा.

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दरअसल पंजाब के फाजिल्का जिले के एक लिव-इन कपल की अर्जी पर सुनवाई करते हुए जस्टिस अनूप चितकारा ने कहा कि समय तेजी से बदल रहा है. वे इलाके जो पीछे रह गए थे या फिर जहां पुराने मूल्य ही चले आ रहे थे, वहां भी अब समाज बदल रहा है. उन्होंने कहा कि हम कानून के शासन से चलते हैं और संवैधानिक धर्म का पालन करते हैं. अब समय आ गया है कि हम परंपरागत समाज के नजरिए से अलग भी देखना शुरू कर दे. इसके साथ ही जस्टिस अनूप चितकारा ने पंजाब के फाजिल्का के कपल को सुरक्षा दिए जाने का आदेश दिया, जो लिव इन रिलेशनशिप में रह रहा है. गौरतलब है कि महिला विवाहित है और वह अपने पति से अलग होकर एक अन्य पुरुष के साथ रह रही है. इसे लेकर उसके परिजनों को आपत्ति है, ऐसे में कपल ने अदालत का रुख कर सुरक्षा दिए जाने की गुहार लगाई थी.

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हाईकोर्ट के जस्टिस अनूप चितकारा ने लिव इन रिलेशनशिप में रह रहे फाजिल्का निवासी जय नरेन और उसके लिव-इन पार्टनर विवाहित महिला द्वारा दायर एक सुरक्षा की मांग वाली याचिका पर यह टिप्पणी की है. इस मामले में महिला पहले से शादीशुदा थी, लेकिन स्वेच्छा से पुरुष साथी के साथ लिव-इन रिलेशनशिप में रह रही थी. कोर्ट ने कहा कि भारत में हर व्यक्ति को भारतीय संविधान और राज्य के अनुच्छेद 21 के तहत जीवन का मौलिक अधिकार है और राज्य जीवन की रक्षा करने के लिए कर्तव्यबद्ध है.