चंडीगढ़। हाईकोर्ट ने पंजाब सरकार को निर्देश दिया है कि वह अपने शिक्षा और वित्त विभागों के प्रमुखों का वेतन तब तक के लिए रोक दे, जब तक वे एक दशक पहले अदालत का रुख करने वाले शिक्षकों के एक समूह को “सेवा लाभ” नहीं देते. अनिल कुमार व अन्य ने हाईकोर्ट में बताया कि याचिकाकर्ताओं ने 2012 में कहा गया था कि सरकारी स्कूलों में शामिल होने पर उनके वेतन निर्धारण के लिए सहायता प्राप्त स्कूलों में दी गई सेवाओं को भी जोड़ा जाए. इस पर हाईकोर्ट ने सेवाओं को जोड़कर वेतन तय करने का आदेश दिया था, जिसका पालन सरकार ने नहीं किया. Read More – वरिष्ठ अकाली नेता मोहम्मद ओवैस आम आदमी पार्टी में शामिल
16 अगस्त 2023 को सरकार ने कहा था कि आदेश का पालन करने की दिशा में काम किया जा रहा है और तीन महीने बाद जब मामला दोबारा सुनवाई के लिए पहुंचा तो हाईकोर्ट को पता चला कि अभी तक राज्य सरकार आदेश का पालन करने में विफल रही है. इस पर हाईकोर्ट ने कड़ा रुख अपनाते हुए कहा कि जब तक सख्त आदेश जारी नहीं किए जाएंगे तब तक पालन नहीं होगा. ऐसे में हाईकोर्ट ने वित्त और शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिवों का वेतन रोकने का आदेश जारी किया. इन अधिकारियों को तब तक वेतन जारी न करने का आदेश दिया है जब तक कि हाईकोर्ट के आदेश का पालन नहीं हो जाता.
वकील अलका चतरथ ने बताया कि शिक्षकों ने उच्च न्यायालय के समक्ष एक याचिका दायर कर सरकारी सहायता प्राप्त विद्यालयों में उनकी पिछली सेवा से लाभ देने का अनुरोध किया था, जब उनके वेतन की गणना सरकारी विद्यालयों से जुड़ने के समय के आधार पर की गई थी. वर्ष 2018 में उनके पक्ष में अदालत के आदेश के बावजूद याचिकाकर्ताओं को लाभ नहीं दिया गया था. न्यायमूर्ति राजबीर सहरावत ने आदेश दिया कि यह अदालत प्रतिवादियों की इस तरह की ढिलाई बर्दाश्त नहीं कर सकती और ऐसे अनुचित कारणों से अदालत का समय बर्बाद नहीं किया जा सकता. इसलिए मामले में कठोर निर्देश अनिवार्य हो गए हैं.
- छतीसगढ़ की खबरें पढ़ने के लिए करें क्लिक
- मध्यप्रदेश की खबरें पढ़ने यहां क्लिक करें
- उत्तर प्रदेश की खबरें पढ़ने यहां क्लिक करें
- दिल्ली की खबरें पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें
- पंजाब की खबरें पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें
- लल्लूराम डॉट कॉम की खबरें English में पढ़ने यहां क्लिक करें
- खेल की खबरें पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें
- मनोरंजन की खबरें पढ़ने के लिए करें क्लिक