पंजाब सरकार की मजबूत पहल से इस फसल सीजन में पंजाब और हरियाणा में धान की पराली जलाने की घटनाओं में कमी आई है। लेकिन हाल के सालों में गर्मी के महीनों में पराली जलाने की घटनाएं बढ़ी हैं।
कमीशन फॉर एयर क्वालिटी मैनेजमेंट (CAQM) ने पंजाब और हरियाणा को इसे रोकने के लिए ज़रूरी कदम उठाने का निर्देश दिया है। दोनों राज्यों के चीफ सेक्रेटरी को लेटर लिखकर एक्शन प्लान बनाने का निर्देश दिया गया है।
अभी तक पराली जलाने पर सख्ती सिर्फ धान की कटाई के सीजन (अक्टूबर से नवंबर) तक ही थी। अब अप्रैल से मई तक चलने वाले गेहूं की कटाई के सीजन में भी खेतों की कड़ी मॉनिटरिंग की जाएगी।
इस बारे में CAQM ने पंजाब और हरियाणा राज्य सरकारों के चीफ सेक्रेटरी को लेटर लिखकर रबी सीजन में भी खेतों में आग लगने से रोकने के लिए मॉनिटरिंग और एक्शन बढ़ाने का निर्देश दिया है।
पहली बार, इंडियन एग्रीकल्चरल रिसर्च इंस्टीट्यूट के सैटेलाइट डेटा के आधार पर ऐसा कदम उठाया गया है। इंस्टीट्यूट 2022 से गेहूं की पराली जलाने की घटनाओं पर नजर रख रहा है।

इसके डेटा के मुताबिक, इस साल अप्रैल और मई में पंजाब से खेतों में आग लगने के 10,207 और हरियाणा से 1,832 मामले सामने आए। दिल्ली में भी 49 मामले सामने आए। वहीं, मध्य प्रदेश में गेहूं की पराली जलाने की 34,429 और उत्तर प्रदेश में 14,398 घटनाएं दर्ज की गईं.
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