दो साल के बाद एक बार फिर राजधानी दिल्ली में गणतंत्र दिवस परेड में पंजाब की झांकी नजर आएगी। झांकी सूफी संत बाबा शेख फरीद और पंजाबी संस्कृति को समर्पित है। इसमें प्राचीन पंजाब का हर रंग देखने को मिलेगा।

लोक संपर्क विभाग की ओर से तैयार की गई झांकी में पंजाब के पारंपरिक लोक वाद्य यंत्रों ढोल, तूबी के अलावा बैलों की जोड़ी भी नजर आएगी। लोक संपर्क विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि देश को खाद्यान्न के मामले में आत्मनिर्भर बनाने में पंजाब का बड़ा योगदान है। इस प्रकार बैलों से खेती करने का दृश्य दिखाया गया है क्योंकि किसान और किसानी के लिए खेती का बहुत महत्व है।

केंद्रीय रक्षा मंत्रालय ने राज्य सरकार की झांकी परेड में शामिल करने को मंजूरी दे दी है जिसके बाद लोक संपर्क विभाग ने पूरे जोर शोर से झांकी की तैयारी कर ली है। पंजाब की झांकी अन्य राज्यों से बिल्कुल अलग होगी। बाबा शेख फरीद को पंजाबी का पहला कवि माना जाता है। इस तरह झांकी में बाबा शेख फरीद, पंजाब के संगीत और संस्कृति को प्रस्तुत किया गया है।

मुख्यमंत्री भगवंत मान को पंजाब की संस्कृति और कृषि से बहुत लगाव है और उन्होंने इसमें रूचि लेते हुए संस्कृति को समर्पित झांकी के दृश्य प्रदर्शित करने के लिए कई टिप्स साझा किए हैं। उन्होंने बताया कि झांकी के प्रदर्शन के दौरान बाबा फरीद की पंक्तियां पढ़ी जाएंगी।