नितिन नामदेव, रायपुर। जगन्नाथ मंदिर के रत्न भंडार खोले जाने पर पुरी पीठाधीश्वर जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी श्रीनिश्चलानंद सरस्वतीजी महाराज ने कहा कि मुझसे कोई परामर्श नहीं लिया गया. उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का आदेश है कि शंकराचार्य के परामर्श से ही सब काम होना चाहिए, लेकिन हमसे कोई परामर्श नहीं लेता. हमारी जरूरत उनको नहीं है, तो हम क्यों बीच में दखल दें? मान न मान, मैं तेरा मेहमान क्यों बने. इसे भी पढ़ें : ‘साहब, प्रेमिका से मुझे मिलवा दो,’ कलेक्टर जनदर्शन में प्रेमी ने लगाई गुहार…

रायपुर रेलवे स्टेशन से पुरी के लिए रवाना होने से पहले पत्रकारों से चर्चा में स्वामी श्रीनिश्चलानंद सरस्वतीजी महाराज ने छत्तीसगढ़ में गौ तस्करों पर नकेल कसने बनाए गए कानून को लेकर तंज कसते हुए कहा कि इसका मतलब स्मगलिंग हो सकती है. अवैध क्यों लगाया गया. केवल स्मगलिंग क्यों नहीं रखा गया?

वहीं केदारनाथ धाम में 228 किलो सोना चोरी मामले में शंकराचार्य महाराज ने कहा कि वहां से उन लोगों ने कहा. सोने के थे ही नहीं, तांबे के ऊपर सोने का पानी चढ़ा दिया गया था. 200 किलो सोना था ही नहीं. झूठ फैलाया गया है, ऐसा वहां के ट्रस्टियों ने कहा है. अब जब वहां सोना था ही नहीं तो उसमें हम क्या बोले?

वहीं दिल्ली में केदारनाथ मंदिर बनाने को लेकर पुरी पीठाधीश्वर ने कहा कि ट्रस्ट वालों ने कहा है कि नाम बदल दिया जाएगा. वह नाम नहीं रखेंगे. भारत में ऐसे चार धाम है. (दिल्ली में जो बन रहा है) नकल कहते हैं. नकल को नस्ल कहने में भ्रम हो जाता है, इसलिए उन्होंने ट्रस्टियों ने स्वयं कहा है कि केदारनाथ नाम नहीं रखेंगे. आगे नाम दूसरा रखा जाएगा.