रायपुर। राजधानी में आज मोर चिन्हारी छत्तीसगढ़ी मंच की ओर से छत्तीसगढ़ के महान साहित्यकार डॉ. नरेन्द्र वर्मा की 46वीं पुण्यतिथि पर पुरखा के सुरता कार्यक्रम का आयोजन हुआ. इस मौके पर प्रदेश के प्रसिद्ध लोक संगीतकार रहे स्व. खुमान साव के साथ दिवगंत कवि डॉ. सुरेन्द्र दुबे और केदार सिंह परिहार को भी याद किया गया. वहीं पत्रकार-इतिहासकार रहे आशीष ठाकुर जी को भी श्रद्धांजलि दी गई. आयोजन में बतौर पहुना पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल, पूर्व कृषि मंत्री चंद्रशेखर साहू, विधायक चातुरी नंद, महापौर मीनल चौबे, गायक सुनील तिवारी, दिलीप षड़ंगी शामिल हुए.

माटी पुत्रों को याद करते रहना होगा- भूपेश बघेल

इस मौके पर भूपेश बघेल ने कहा कि छत्तीसगढ़ राज्य निर्माण के पीछे हमारे पुरखों का बड़ा योगदान रहा है. हमें माटी-पुत्रों को याद करते रहना होगा. हमारे पुरखों के विरासत को बचाना उसे आगे पीढ़ी तक ले जाना हम सबकी जिम्मेदारी है. मैं इस आयोजन के लिए मोर चिन्हारी छत्तीसगढ़ी टीम को विशेष रूप से बधाई देता हूं. डॉ. नरेन्द्र देव वर्मा अल्प आयु में ही कई महत्वपूर्ण कार्य छत्तीसगढ़ और छत्तीसगढ़ी के लिए कर गए. अरपा-पैरी के धार.. छत्तीसगढ़ महतारी की वंदना गीत है. यह गीत आज राजगीत है. इस गीत की रचना करने वाले डॉ. नरेन्द्र देव को मैं सादर नमन करता हूँ. मंच से उनके शोध ग्रंथ( छत्तीसगढ़ी के उद्भव एवं विकास) के प्रकाशन की बात आई है. मैं इस मंच से घोषणा करता हूँ जल्द इसका प्रकाशन मैं कराऊँगा और आम जन तक किताब की पहुँच हो इस दिशा में प्रयास करूंगा.

अस्मिता की लड़ाई में पुरखों का बड़ा योगदान- चंदशेखर साहू

पूर्व कृषि मंत्री चंद्रशेखर साहू ने कहा कि छत्तीसगढ़ी अस्मिता की लड़ाई लड़ाई में पुरखों का बड़ा योगदान है. छत्तीसगढ़ी भाव जगाने में सभी वर्ग, समाज, पार्टी के नेताओं ने एक होकर काम किया गया. मोर चिन्हारी छत्तीसगढ़ी का आयोजन उसी भाव को प्रदर्शित कर रहा है. मैं इस मौके पर भारत रत्न पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को भी याद करना चाहूँगा. जिन्होंने अपने वादे के मुताबिक छत्तीसगढ़ राज्य का निर्माण किया. डॉ. नरेन्द्र देव वर्मा जैसे महान साहित्यकारों ने छत्तीसगढ़ी भाषा को समृद्ध करने काम किया है. संगीत साधक खुमान साव, कवि डॉ. सुरेन्द्र और केदार सिंह परिहार जैसे महान लोगों ने राज्य की भाषा और संस्कृति को दुनिया भर में पहुँचाने में अपनी महत्ती भूमिका निभाई है.

पुरखों का सपना सच होगा – मीनल चौबे

महापौर मीनल चौबे ने कहा कि आज हम अपने पता में छत्तीसगढ़ राज्य लिख पाते हैं इसके पीछे स्व. अटल बिहारी वाजपेयी हैं. मैं पुरखा के सुरता कार्यक्रम में सभी पुरखों के बीच उन्हें भी याद करते हूँ अपनी श्रद्धा व्यक्त करती हूँ. साथ यह भी कहना चाहती हूँ कि हमारे पुरखों ने जैसा छत्तीसगढ़ बनाने का सपना देखा था, वैसा छत्तीसगढ़ बनाएंगे. हमने नारा दिया हमने ही बनाया है, हमीं संवारेंगे.

महतारी भाषा में पढ़ाई-लिखाई है लक्ष्य- लता राठौर

मोर चिन्हारी छत्तीसगढ़ी मंच की अध्यक्ष लता राठौर ने कहा कि छत्तीसगढ़ी भाषा को समृद्ध करने वाले डॉ. नरेन्द्र वर्मा की साहित्यिक यात्रा को आगे बढ़ाने छत्तीसगढ़ी में पढ़ाई-लिखाई जरूरी है. हमारे सभी पुरखों की प्राथमिकता में छत्तीसगढ़ी को स्थान दिया जाता है. हम सभी का भी अंतिम लक्ष्य मातृभाषा में स्कूली शिक्षा है. इस लक्ष्य की प्राप्ति के लिए पुरखों को याद कर एक भाव के साथ छत्तीसगढ़ियों का जुराव होते रहेगा.

कार्यक्रम का संचलान डॉ. वैभव बेमेतरिहा ने किया. आयोजन में साहित्यकार रामेश्वर शर्मा, पत्रकार राम अवतार तिवारी, रंगकर्मी विजय मिश्रा, लघु अटल विकास शर्मा, गीतकार ईश्वर बंधी साहू, जोशी बहनें, अभिनेता संतोष सारथी, सामाजिक कार्यकर्ता उदयभान चौहान, शिक्षाविद् डॉ. नरसिंग यादव सहित क्रांति सेना के पदाधिकारी भी मौजूद रहें.