पूर्णिया। बिहार का दूसरा सबसे आधुनिक मौसम विज्ञान केंद्र तैयार किया जा रहा है, जहां पटना के बाद राज्य का दूसरा मॉडर्न डॉप्लर वेदर रडार लगाया जा रहा है। लगभग 57 करोड़ रुपए की लागत से बन रही इस परियोजना के नए साल से कार्य शुरू करने की तैयारी है। रडार की मदद से 100 किलोमीटर के दायरे में मौसम की गतिविधियों की जानकारी दो से तीन घंटे पहले मिल सकेगी। इसका फायदा सीमांचल और कोसी के सात जिलों के साथ–साथ नेपाल, पश्चिम बंगाल और हिमालयी क्षेत्रों तक मिलेगा।
पूर्व चेतावनी मिलेगी तुरंत
मौसम वैज्ञानिकों के अनुसार यह रडार आंधी, तेज बारिश, ओलावृष्टि और वज्रपात जैसी घटनाओं का समय रहते अलर्ट देगा। इससे हर साल वज्रपात से होने वाली जनहानि में कमी आएगी और लोगों को पहले से सतर्क रहने में मदद मिलेगी। इस प्रणाली से अब दूसरे जिलों पर निर्भरता भी समाप्त हो जाएगी और पूर्णिया एक प्रमुख मौसम केंद्र के रूप में उभरेगा।
किसानों और हवाई सेवाओं को बड़ा लाभ
रडार से मिलने वाली सटीक जानकारी का सबसे बड़ा फायदा किसानों को होगा। मौसम का पूर्वानुमान मिलने से वे फसल की कटाई-बुआई और भंडारण की बेहतर योजना बना सकेंगे। साथ ही विंड बैलून सिस्टम के जरिए ऊपरी वायुमंडल की हवा की दिशा-गति मापी जाएगी, जिसका सीधा लाभ पूर्णिया एयरपोर्ट की उड़ानों को मिलेगा।
भूकंप की निगरानी के लिए सिस्मोग्राफी प्लान
केंद्र में आगे चलकर सिस्मोग्राफी सिस्टम लगाने की भी योजना है, जिससे भूकंप संबंधी गतिविधियों की तुरंत जानकारी मिलेगी और आपदा प्रबंधन तंत्र और मजबूत होगा। जनप्रतिनिधियों ने इस परियोजना को सीमांचल के लिए ऐतिहासिक और जीवन रक्षक तकनीक बताया है।
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