रायपुर. छत्तीसगढ़ में बरसात लगते ही अब बाजारों में देशी मशरूम यानी पुटू दिखाई देने लगा है. प्रदेश में तमाम बाजारों में पुटू 1000 से 1200 रुपए बिक रहा है. भारी महंगा होने के बाद भी लोग साल भर इस मौसमी पुटू का इंतजार करते रहते हैं. जैसे ही बाजार में दिखता है तो इसे खरीदकर ले जाते हैं. पुटू खाने में स्वादिष्ट होने के साथ ही बहुत पौष्टिक भी होता है.


कम समय में ही हो जाता है खराब
पुटू बारिश के मौसम में बाड़ी, बखरी, खेत और जंगल में खुद ब खुद निकल जाता है. इस देशी मशरूम की खेती नहीं होती, इसी वजह से बाजारों में इसकी कीमत बहुत अधिक होती है. बताया जा रहा है कि राजधानी में शुरूआती समय में पुटू 1500 से 2000 रुपए प्रति किलो बिका है. देशी मशरूम बहुत ही सीमित मात्रा में मिलता है, जिससे इसकी मांग बाजारों में ज्यादा रहती है. वहीं सरगुजा और बस्तर क्षेत्र में पुटू बड़ी मात्रा में पाई जाती है. लेकिन इसका ट्रांसपोर्टिंग करना बहुत कठिन काम है. यह मुलायम होने के कारण कम समय में ही खराब हो जाता है.
आयरन और कैल्शियम की मात्रा भरपूर
विशेषज्ञों की माने तो बीपी, शुगर, कैंसर, शारीरिक कमजोरी, हड्डी, आंख की रोशनी, गर्भवती महिलाओं के लिए मशरूम बहुत लाभदायक है. इसमें आयरन और कैल्शियम की मात्रा भरपूर होती है. विटामिन डी, प्रोटीन, फाइबर, सेलेनियम, पोटेशियम जैसे कई पोषक तत्व भी होते हैं. साथ ही इसमें एंटी-बैक्टीरियल गुण भी पाए जाते हैं. इसे वजन नियंत्रित के लिए भी आदर्श माना जाता है. हृदय रोग और हाई ब्लड प्रेशर जैसी समस्याओं में थोड़ी राहत मिलती है. पुटू शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को भी बढ़ाता है.
कितने प्रकार के होते हैं मशरूम ?
वैसे तो मशरूम कई प्रकार होते हैं. इसमें खाने योग्य मुख्यतः दो प्रकार के ही होते हैं. एक मशरूम जिसकी खेती की जा सकती है. इसमें पैरा, ऑयस्टर, बटन और मिल्की मशरूम शामिल है. वहीं दूसरा प्राकृतिक मशरूम होता है. इसमें टेरमिटोरिम (भीमभोरा), कनकी, पातेरा और बोडा शामिल हैं.
हानिकारक मशरूम की पहचान कैसे करें ?
हानिकारक मशरूम की पहचान अत्यंत आवश्यक है. उसको देखने से उसमें कई प्रकार के कलर के चकते दिखाई पड़ते हैं. ऊपर उठने से उसकी छतरी और डंठल आसानी से अलग हो जाते हैं. बहुत ही हल्की हवा के झोंके से भी अलग हो जाता है. विशेष प्रकार की गंध आती है. सब्जी बनाने से उसमें कालेपन आने लगता है और बदबू आने लगती है.