नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने दवा निर्माण सामग्री पैकेज पर क्यूआर कोड अनिवार्य कर दिया है और नया नियम 1 जनवरी, 2023 से लागू होगा। दवाओं में इस्तेमाल होने वाले सक्रिय फार्मास्युटिकल अवयवों पर क्यूआर कोड डालना अनिवार्य कर दिया गया है, जिससे वास्तविक और नकली दवाओं के बीच अंतर करने में मदद मिलने की उम्मीद है।

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने एक गजट अधिसूचित दिशा-निर्देशों में कहा, “भारत में निर्मित या आयात किए जाने वाले प्रत्येक सक्रिय दवा घटक के हर स्तर पर अपने लेबल पर एक त्वरित प्रतिक्रिया कोड होगा, जो ट्रैकिंग की सुविधा के लिए सॉ़फ्टवेयर एप्लिकेशन के साथ पठनीय डेटा या जानकारी संग्रहीत करता है।”

इस पहल का उद्देश्य फार्मास्युटिकल फर्मों का पता लगाना और इस तरह की जानकारी इकट्ठा करना है कि क्या फॉर्मूले के साथ कोई छेड़छाड़ हुई है, कच्चे माल की उत्पत्ति कहां है और उत्पाद कहां जा रहा है। कोड में संग्रहीत डेटा में अद्वितीय उत्पाद आईडी, एपीआई का नाम, ब्रांड नाम, निर्माता का नाम और अन्य महत्वपूर्ण जानकारी होने की उम्मीद है।