रायपुर। ज्यादा दिन नहीं हुए जब राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू ने इस बात को लेकर निराशा जताई थी कि देश का एक भी शैक्षणिक संस्थान दुनिया के नामचीन 50 संस्थानों में नहीं आता. और हम यहां छत्तीसगढ़ में इस बात का रोना रो रहे हैं कि प्रदेश का कोई भी शैक्षणिक संस्थान देश के टॉप 50 शैक्षणिक संस्थानों में नहीं आता. इससे बड़ी बात यह है कि हमारे शैक्षणिक संस्थानों में पढ़ाई के स्तर उठने की बजाए नीचे गिरते जा रही है, जिसका उदाहरण राजधानी विश्वविद्यालय और महाविद्यालय हैं.
उच्च शिक्षा की नापने का मापदंड नैक की तरफ से दी जाने वाली ग्रेडिंग है. नैक की टीम विश्वविद्यालय और महाविद्यालय को शिक्षा गुणवत्ता स्ट्रक्चर, शोध छात्रों को मिलने वाली सुविधाओं. प्लेसमेंट जैसी चीजों का कर ग्रेड निर्धारित करती है. एक तरफ नैक के ग्रेड के हिसाब से ही शैक्षणिक संस्थानों को पैसा मिलता है. विश्वविद्यालयों समेत सभी कालेजों में हर वर्ष कुछ न कुछ नए पाठ्यक्रम शुरू होते हैं. वहीं दूसरी ओर अच्छे ग्रेड की विश्वविद्यालयों, महाविद्यालयों से पढ़ने वाले छात्रों को भी दूसरी जगह प्रवेश लेने नौकरी करने में भी सहायता मिलती है.
लेकिन अफसोस कि राजधानी में एक भी ऐसा महाविद्यालय नहीं है, जिसे नेक की तरफ से ‘ए’ ग्रेड मिला हो. आलम यह है कि ‘ए’ ग्रेड मिलना तो दूर राजधानी के कॉलेजों का जो पिछले साल ग्रेड हुआ करता था, वह भी अब नीचे जा रहा है. यहां तक राजधानी स्थित पं रविशंकर विश्वविद्यालय के ग्रेड में कमी आई है. पं. रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय का जुलाई नैक से मूल्यांकन करवाया था. इसमें पहले मिला हुआ ‘ए’ ग्रेड घटकर ‘बी प्लस’ हो गया.
‘बी प्लस’ से ‘बी’ हुआ साइंस कॉलेज
शहर के प्रतिष्ठित साइंस कॉलेज के भी नेक ग्रेड में कमी आई है. पहले कॉलेज को ‘बी प्लस’ ग्रेड मिला था, जो घटकर ‘बी’ हो गया है. साइंस कालेज में सिर्फ साइंस स्ट्रीम की पढ़ाई होती है. कॉलेज में चल रहे अलग-अलग आठ विभागों में सर्टिफिकेट कोर्स शुरू किए गए हैं. कॉलेज प्रबंधन सिर्फ नए पाठ्यक्रम शुरू करने पर फोकस कर रहा है, लेकिन पढ़ाई की गुणवत्ता लगातार गिरती जा रही है.
छत्तीसगढ़ कॉलेज की भी घटी गुणवत्ता
छत्तीसगढ़ कॉलेज की भी ग्रेडिंग में गिरावट दर्ज हुई है. पहले कॉलेज के पास ‘बी प्लस’ था, जो घटकर ‘बी’ हो गया है. कालेज प्रबंधन मार्च में नेक मूल्यांकन करवाने की तैयारी कर रहा है. कॉलेज के अधिकारियों ने बताया कि मूल्यांकन से पहले सारी कमियों को दूर करने का प्रयास किया जा रहा है.
इन कॉलेजों ने बचाई ली कुछ लाज
कालीबाड़ी स्थित दूधाधारी बजरंग महिला महाविद्यालय की नैक ब्रेड में सुधार हुआ है. पहले कालेज के पास ‘बी’ ग्रेड था, जो बढ़कर ‘बी प्लस प्लस’ हो गया है. इसी तरह देवेंद्र नगर स्थित कन्या महाविद्यालय के पास भी ‘बी प्लस प्लस’ ग्रेड है. हालांकि, कॉलेज प्रबंधन ने पहली बार नैक मूल्यांकन करवाया है. पहली बार में भी कॉलेज को ‘बी प्लस प्लस’ ग्रेड मिल गया है.