कोण्डागांव. राजीव नगर आवास योजना मरारपारा में एम.आई.जी., एल.आई.जी. और ई.डब्ल्यू.एस. मकानों के लिए ऑडिटोरियम हाॅल कोण्डागांव में ऑनलाईन पद्धति से बुधवार को लाॅटरी की गई. जिसके लिए एन.आई.सी. द्वारा निर्मित सॉफ्वेयर का उपयोग किया गया है. सॉफ्टवेयर के जानकार ऑनलाईन लाॅटरी पद्धति को पूरी तरह से पारदर्शी नहीं मान रहे हैं. इसी वजह से अपने लिए मकानों की आस में बैठे कोण्डागांव के नागरिकों ने ऑनलाइन पद्धति की पारदर्शिता पर सवाल उठाते हुए आवेदन हाऊसिंग बोर्ड के कार्यालय में प्रस्तुत किया है.

बता दें कि माॅक लाॅटरी के लिए जिस बटन का उपयोग किया जा रहा है, वही बटन फाइनल लाॅटरी के लिए भी उपयोग किया जाना चाहिए था. जबकि माॅक लाॅटरी करने के बाद फ्रिज का बटन उपयोग किया जाता है. जिससे माॅक लाॅटरी के लिए उपयोग किया गया बटन बदल जाता है और उसके स्थान पर नया बटन प्रदर्शित होने लगता है. जिससे लाॅटरी पूरी तरह से पारदर्शी प्रदर्शित नहीं हो रही है. समय-समय पर ई.व्ही.एम. मशीनों पर भी इसी प्रकार पारदर्शी नहीं होने के आरोप लगते रहे हैं. लेकिन ई.व्ही.एम. मशीन में जिस बटन को माॅक पोल के लिए उपयोग किया जाता है, उसी बटन का उपयोग फाइनल पोल के लिए भी किया जाता है. जिससे ई.व्ही.एम. मशीन पूरी तरह से पारदर्शी प्रदर्शित होता है.

ऑनलाईन पद्धति से लाॅटरी करवाने आये हुए हाउसिंग बोर्ड के कर्मचारियों से इस संबध में जानकारी मांगी गई तो उनका कहना है यही पद्धति विगत 10 वर्षों से प्रचलित है. हाउसिंग बोर्ड कोण्डागांव के कार्यपालन अभियंता पुरूषोत्तम लाल साहू ने इस संबंध में कहा कि मुझे कम्प्यूटर का ज्ञान नहीं है. आप अपनी आपत्ति लिखित में प्रस्तुत कीजिए. प्रोग्रामर सत्येन्द्र कुमार देवांगन से जब इस संबंध में जानकारी चाही गई तो उनका कहना था कि जो डाटा प्रदर्शित हो रहा है उसे फ्रिज करने की कोई आवश्यकता नहीं है. उसी डाटा से फाइनल लाॅटरी करने के बाद प्राप्त फाइनल परिणाम को फ्रिज किया जा सकता है. फाइनल लाॅटरी से पहले फ्रिज का बटन क्लिक करने या दूसरे बटन को फाइनल लाॅटरी के लिए उपयोग किये जाने पर डाटा से छेड़छाड़ किए जाने की पूरी संभावना होती है.