रविंद्र कुमार भारद्वाज, रायबरेली. उत्तर प्रदेश के रायबरेली जिले की ऊंचाहार विधानसभा क्षेत्र एक बार फिर सुर्खियों में है. इस बार मामला क्षेत्रीय विधायक मनोज कुमार पांडेय और उनके ही क्षेत्र के एक ग्राम प्रधान धनराज यादव के बीच का है. कभी मनोज पांडेय के करीबी सहयोगी रहे धनराज यादव ने विधायक पर गंभीर आरोप लगाए हैं. उन्होंने कहा कि विधायक उनके लिए जान का खतरा पैदा कर रहे हैं और उनका लगातार उत्पीड़न कर रहे हैं. रायबरेली शहर के एक होटल में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में धनराज यादव ने अपनी आपबीती सुनाई, जहां उनकी आंखों से आंसू छलक पड़े.

मनोज कुमार पांडेय, जो पहले समाजवादी पार्टी के कद्दावर नेता और पूर्व कैबिनेट मंत्री रहे, अब भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो चुके हैं. धनराज यादव, ऊंचाहार देहात के ग्राम प्रधान, उनके साथ लंबे समय तक राजनीतिक रूप से जुड़े रहे. धनराज ने मनोज पांडेय के कई चुनावों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और उनके लिए प्रचार और सहयोग किया. लेकिन अब वही धनराज विधायक के खिलाफ खुलकर सामने आए हैं. उन्होंने प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया कि मनोज पांडेय ने न केवल उनका उत्पीड़न किया, बल्कि उनकी वजह से ग्राम सभा का विकास कार्य भी ठप हो गया है.

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प्रेस कॉन्फ्रेंस में धनराज यादव ने बताया कि वे पिछले 15 सालों से ग्राम प्रधान हैं और लगातार तीन बार निर्वाचित होकर ग्राम सभा के विकास और सर्वसमाज की सेवा में जुटे रहे हैं. लेकिन पिछले 6 सालों से विधायक मनोज पांडेय उनके खिलाफ उत्पीड़न की कार्रवाई कर रहे हैं. धनराज ने कहा “मैं अपने गांव में विकास कार्य नहीं कर पा रहा हूं. विधायक के दबाव और उत्पीड़न के कारण मैं और मेरे जैसे अन्य ग्राम प्रधान परेशान हैं”.

धनराज ने विधायक पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि मनोज पांडेय ने करोड़ों-अरबों की संपत्ति बनाई है और इसके लिए उन्होंने गलत तरीकों का सहारा लिया है. धनराज ने यह भी खुलासा किया कि विधायक के उत्पीड़न से तंग आकर उनके मन में बार-बार आत्महत्या का विचार आता है. उन्होंने कहा, “मैंने 2012 से लेकर अब तक मनोज पांडेय के साथ काम किया, उनके लिए मेहनत की, लेकिन अब उनके उत्पीड़न के कारण मैं यह सोचने को मजबूर हूं कि आत्महत्या कर लूं”.

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धनराज यादव ने एक और गंभीर मुद्दा उठाया. उन्होंने बताया कि 2018-19 में मनोज पांडेय ने ऊंचाहार ब्लॉक की तीन ग्राम पंचायतों—कंदरावा, पट्टी रहस कैथवल और ऊंचाहार देहात—की जांच के आदेश कराए थे. उस समय जिन ग्राम प्रधानों के खिलाफ शिकायतें थीं, उनका कार्यकाल खत्म हो चुका है. कुछ शिकायतकर्ताओं की मृत्यु हो चुकी है और नये ग्राम प्रधान चुन लिए गए हैं. इसके बावजूद, उन पुरानी शिकायतों की जांच आज के ग्राम प्रधानों पर थोपी जा रही है.

धनराज ने इसे सरासर अन्याय करार देते हुए कहा, “जिन ग्राम प्रधानों के खिलाफ शिकायतें थीं, वे अब प्रधान नहीं हैं. फिर भी जांच का बोझ हम पर डाला जा रहा है. इससे गांव का विकास रुक गया है और हम बेवजह परेशान हो रहे हैं.” उन्होंने यह भी बताया कि इन जांचों के कारण ग्राम सभाओं में विकास कार्यों के लिए फंड्स का उपयोग नहीं हो पा रहा है, जिससे ग्रामीण क्षेत्रों में बुनियादी सुविधाओं का अभाव बढ़ता जा रहा है.