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ज्योतिष में राहु को एक छाया ग्रह माना जाता है, जो भ्रम, मानसिक तनाव और अप्रत्याशित घटनाओं से जुड़ा होता है. यदि कुंडली में राहु अशुभ स्थिति में हो, तो यह व्यक्ति के जीवन में कई प्रकार की समस्याएँ उत्पन्न कर सकता है. मानसिक रूप से यह अत्यधिक चिंता, अवसाद (डिप्रेशन), अनावश्यक डर और गलत निर्णय लेने की प्रवृत्ति को बढ़ा सकता है. इसके प्रभाव से व्यक्ति के मन में नकारात्मक विचार हावी हो सकते हैं, जिससे जीवन में अस्थिरता आ सकती है.
करियर और व्यवसाय पर भी राहु का गहरा प्रभाव पड़ता है. इसके कारण अचानक नौकरी छूट सकती है या करियर में अस्थिरता आ सकती है. व्यापार में अनिश्चितता बनी रहती है और गलत निर्णयों के कारण असफलता का सामना करना पड़ सकता है. कई बार व्यक्ति झूठे आरोपों या कानूनी विवादों में भी फंस सकता है, जिससे सामाजिक जीवन प्रभावित हो सकता है. स्वास्थ्य की दृष्टि से यह नींद की समस्या, लाइलाज बीमारियाँ और नशे की प्रवृत्ति को बढ़ावा दे सकता है.
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राहु के अशुभ प्रभाव से बचने के लिए हनुमान जी की पूजा करना, हनुमान चालीसा का पाठ करना और मंगलवार व शनिवार को मंदिर जाना लाभकारी माना जाता है. भगवान शिव की उपासना और रुद्राभिषेक करने से भी राहु के नकारात्मक प्रभाव कम किए जा सकते हैं. गाय को हरा चारा या गुड़ खिलाना शुभ माना जाता है. काले तिल, काले कपड़े, सरसों का तेल और लोहे की वस्तुओं का दान करना भी लाभकारी होता है.
राहु मंत्र ‘ॐ भ्रां भ्रीं भ्रौं सः राहवे नमः’ का रोज़ 108 बार जाप करने से मानसिक शांति प्राप्त होती है. इसके अलावा, दाएं हाथ की कलाई में या गले में नीला या काला धागा बांधना भी लाभकारी माना जाता है. स्वच्छता बनाए रखना, घर और कार्यस्थल को साफ रखना आवश्यक है, क्योंकि गंदगी राहु के प्रभाव को और बढ़ा सकती है.
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जीवन में सकारात्मकता बनाए रखने के लिए सत्य और नैतिकता का पालन करना जरूरी है. ज्योतिषीय सलाह लेकर राहु यंत्र की स्थापना करने से भी लाभ मिल सकता है. इन उपायों से राहु के नकारात्मक प्रभाव को कम किया जा सकता है और जीवन में स्थिरता लाई जा सकती है.
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