रायपुर. राहु-केतु 12 अप्रैल को प्रातः 10 बजकर 36 मिनट पर वृषभ से मेष राशि में अपना राशि परिवर्तन करेगा. राहु-केतु करीब 18 महीनों के बाद राशि बदलने वाले हैं. राहु-केतु दोनों ही छाया ग्रह माने गए हैं और ये हमेशा वक्री यानी उल्टी चाल से चलते हैं. 12 अप्रैल को राहु मेष में और केतु तुला राशि में प्रवेश करेंगे. मौजूदा समय में राहु वृषभ और केतु वृ्श्चिक राशि में मौजूद हैं.
18 साल बाद दोबारा से राहु-केतु मेष और तुला राशि में प्रवेश करने वाले हैं. वैदिक ज्योतिष शास्त्र के अनुसार मेष राशि के स्वामी ग्रह मंगल हैं और तुला राशि के स्वामी ग्रह शुक्र ग्रह है. मंगल और राहु एक-दूसरे के प्रति शत्रुता का भाव रखते हैं. वहीं केतु और शुक्र ग्रह एक दूसरे के प्रति सम भाव के माने गए हैं. राहु-केतु के बारे में पौराणिक कथा काफी प्रचलित है कथा के अनुसार जब समुद्र मंथन हो रहा था तो राहु-केतु चुपके से मंथन के दौरान निकला अमृत पी लिया था. तब भगवान विष्णु मोहनी का रूप धारण करके सभी देवताओं को अमृतपान करा रहे थे जैसे ही उन्हें इस बात का आभास हुआ फौरन ही अपने सुदर्शन चक्र से राहु का सिर धड़ से अलग कर दिया था. हालांकि इस दौरान राहु ने अमृत पान कर लिया जिसके कारण उसकी मृत्यु नहीं हुई. तभी से राहु को सिर और केतु को धड़ के रूप में है.
राहु-केतु के गोचर से कई तरह के प्राकृतिक उथल-पुथल होने की संभावना रहती है. पृथ्वी पर गर्मी का प्रकोप बढ़ जाता है और वर्षा भी कम होती है. देश-दुनिया में राजनीति अपने चरम पर होती है. एक-दूसरे देशों में तनाव काफी बढ़ जाता है. रोग बढ़ जाते हैं जिससे जनता का हाल बुरा हो जाता है.
राहु-केतु के गोचर से सभी राशि के जातकों पर इसका विशेष प्रभाव पड़ता है. ज्योतिष गणना के अनुसार कुंडली में मौजूद राहु-केतु की दशा के आधार पर शुभ-अशुभ प्रभाव पड़ता है. राहु-केतु के 18 महीनों के बाद राशि बदलने के कारण मेष, वृषभ, कर्क, कन्या और मकर राशि वालों को सावधानी बरतनी पड़ेगी. आप सभी के लिए राहु-केतु का प्रभाव अच्छा नहीं रहेगा. वहीं सिंह, तुला,वृश्चिक, धनु और कुंभ राशि वालों के लिए यह गोचर शुभ और लाभ दिलाने वाला साबित होगा. धन लाभ और मान-सम्मान में बढ़ोतरी होगी, वहीं मिथुन और मीन राशि वालों पर इस राशि परिवर्तन का कोई भी प्रभाव देखने को नहीं मिलेगा.