Rahu Ketu Dosha Nivaran: गुजरात के द्वारका से लगभग 17 किलोमीटर दूर स्थित नागेश्वर ज्योतिर्लिंग को शिव भक्तों के लिए अद्वितीय तीर्थ माना जाता है. 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक यह पावन धाम न केवल भगवान शिव की आराधना का केंद्र है, बल्कि राहु और केतु से संबंधित दोषों के निवारण के लिए भी अत्यंत प्रसिद्ध है.
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राहु-केतु दोष से मुक्ति का पावन स्थान
ज्योतिष मान्यता के अनुसार, जिन जातकों की कुंडली में राहु-केतु पीड़ा देते हैं, उन्हें नागेश्वर महादेव के दर्शन और पूजन से विशेष राहत मिलती है. यहां शिवलिंग पर नाग का वास दर्शाया गया है, जो राहु-केतु के प्रतीक माने जाते हैं.
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कालसर्प दोष और ग्रहण दोष का समाधान (Rahu Ketu Dosha Nivaran)
ऐसा कहा जाता है कि यहां पूजा-अर्चना करने से कालसर्प दोष, राहु-केतु ग्रहण दोष और जीवन में आने वाली अनावश्यक बाधाओं का नाश होता है. स्थानीय परंपराओं में यह विश्वास है कि नागेश्वर महादेव अपने भक्तों को भय, रोग और शत्रु के संकट से मुक्ति दिलाते हैं.
दारुका वन की प्राचीन कथा (Rahu Ketu Dosha Nivaran)
किंवदंती है कि ‘दारुका वन’ में राक्षस दारुक और उसकी पत्नी दारुका के अत्याचार से पीड़ित भक्तों की रक्षा के लिए भगवान शिव ने नागेश्वर ज्योतिर्लिंग के रूप में प्रकट होकर दुष्टों का संहार किया. तभी से यह स्थान ‘नागेश्वर’ कहलाया और यहां शिव की पूजा विशेष फलदायी मानी गई.
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श्रद्धालुओं की अटूट आस्था (Rahu Ketu Dosha Nivaran)
धार्मिक मान्यता यह भी है कि राहु-केतु के कारण यदि जीवन में विवाह, संतान या करियर से संबंधित बाधाएं आती हैं, तो नागेश्वर ज्योतिर्लिंग का जलाभिषेक, विशेष मंत्रोच्चार और रुद्राभिषेक उपाय बेहद प्रभावकारी सिद्ध होते हैं. सोमवार और महाशिवरात्रि पर यहां उमड़ने वाली भक्तों की भीड़ इस आस्था का प्रमाण है.
शिव कृपा से ग्रहदोष का नाश (Rahu Ketu Dosha Nivaran)
आज भी लाखों श्रद्धालु यहां आकर न केवल भगवान शिव के दर्शन करते हैं, बल्कि राहु-केतु की पीड़ा से मुक्ति का मार्ग भी तलाशते हैं. नागेश्वर ज्योतिर्लिंग केवल एक तीर्थ नहीं, बल्कि विश्वास का वह केंद्र है, जहां भक्त निडर होकर अपने कष्ट समर्पित कर देते हैं और बदले में शिव की कृपा, नागदेव की शांति और ग्रहदोष से मुक्ति पाते हैं.
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