भिलाई. कीर्तिशेष देवीप्रसाद चौबे की स्मृति में स्थापित एवं लोकजागरण के लिए प्रदत्त वसुंधरा सम्मान की परम्परा से छत्तीसगढ़ की पत्रकारिता गौरवान्वित होती है. विगत पच्चीस वर्षों से निरंतर बिना किसी रुकावट के जारी यह समारोह जारी है. इस समारोह में पत्रकारिता के क्षेत्र में अच्छा काम करने वालों को जहां सम्मानित किया जाता है, वहीं पत्रकारिता से संबंधित विषयों पर गंभीर विचार विमर्श भी होता है. आज महात्मा गांधी कला मंदिर भिलाई में आयोजित वसुंधरा सम्मान के रजत जयंती समारोह में मुख्य अतिथि विधानसभा अध्यक्ष डाॅ. रमन सिंह ने सामाजिक सरोकारों तथा भाषा के स्वरुप और संस्कार के प्रति संजीदा पत्रकारिता के लिए सुपरिचित पत्रकार राहुल देव को 25वां वसुंधरा सम्मान दिया. इस मौके पर राहुल देव को शाल, श्रीफल, प्रशस्ति पत्र और सम्मान निधि देकर सम्मानित किया गया.

इस अवसर पर डॉ. रमन सिंह ने कहा कि स्वस्थ पत्रकारिता का आशय समाज की प्रगति से ही जुड़ा होता है, अतः सकारात्मक पत्रकारिता को प्रोत्साहित करना हम सबका नैतिक दायित्व है. डाॅ. सिंह ने कहा कि पत्रकारिता को लोकतंत्र का चौथा स्तम्भ इसीलिए कहा जाता है कि जनतांत्रिक मूल्यों की रक्षा के प्रति हम सभी को सजग रहना चाहिए. हम सभी निष्पक्ष, दायित्वबोध और विकासपरक पत्रकारिता का स्वागत करते हैं. देश, राज्य और लोकतंत्र के विकास में पत्रकारों को जिम्मेदारी से अपने दायित्व का निर्वहन करना चाहिए.

समारोह का आयोजन लोकजागरण की संस्था वसुंधरा द्वारा श्री चतुर्भुज मेमोरियल फाउंडेशन एवं बीएसपी आफिसर्स एसोसिएशन के सहयोग से किया गया. इस अवसर पर हिंदी पत्रकारिता की नयी पीढ़ी का भविष्य विषय पर समारोह को संबोधित करते हुए राहुल देव ने कहा कि पत्रकारिता का कार्य सदैव चुनौतीपूर्ण ही रहा है. नई पीढ़ी जो पत्रकारिता में आ रहे हैं उसे अपने पेशे के प्रति ईमानदार रहना चाहिए. विगत 10-15 वर्षों में पत्रकारिता के अंदर कई बड़े परिवर्तन हुए हैं. प्रौद्योगिकी के बढ़ते युग में नई पीढ़ी को जन आकांक्षाओं के प्रति अधिक सजग और जागरूक होकर काम करने की जरुरत है.

सोशल मीडिया के बीच पत्रकारिता की चुनौतियों विषय पर समारोह को संबोधित करते हुए मुख्य वक्ता प्रतिष्ठित पत्रकार अभय कुमार दुबे ने कहा कि समकालीन पत्रकारिता में यह विषय अत्यंत महत्वपूर्ण है. इन वर्षों में पत्रकारिता के स्वरूप और संस्कार में काफी बड़े परिवर्तन हुए हैं. सोशल मीडिया के बढ़ते प्रभाव को समझने की जरुरत है. आखिर वे कौन सी नई परिस्थितियां है जिनके चलते सोशल मीडिया का विस्तार हुआ है. जाहिर है कि हमारा समाज पत्रकारिता की मुख्य धारा के अलावा वैकल्पिक मीडिया को भी तवज्जो देता है और अपेक्षाएं भी रखता है. सत्ता और राजनीति के चरित्र में बीते पच्चीस वर्षों के दौरान कई बड़े बदलाव हुए हैं. पत्रकारिता भी इन बदलावों से अछूता नहीं रहा, लेकिन तमाम बदलावों के बीच पत्रकारिता की जिम्मेदारियों में अपैक्षाकृत बढ़ोत्तरी ही हुई है.

दुबे ने समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि सोशल मीडिया के उदय के बाद पत्रकारिता विशेषकर प्रिंट मीडिया के सामने कई बड़ी चुनौतियां पेश हुई है. पत्रकारिता में विश्वसनीयता का विषय सदैव मौजूद रहा है. आज भी हमें यह ध्यान रखना चाहिए कि अगर हमारी पत्रकारिता पक्षपात पूर्ण और पूर्वाग्रह से भरी हुई है तो समाज इसे स्वीकार नहीं करेगा इसलिए तमाम तरह की पारिस्तिथिकीय चुनौतियों के बावजूद पत्रकारिता की विश्वसनीयता को कायम रखना, उसके दायित्व बोध को बनाए रखना ज्यादा महत्वपूर्ण है. पत्रकारिता का जो मूल सिद्धांत है, उसके प्रति जिम्मेदार रहते हुए ही हम किसी भी नई चुनौती का सामना करने में समर्थ हो सकते हैं.

समारोह में वैशाली नगर विधायक रिकेश सेन, अहिवारा विधायक डोमनलाल कोसेवाड़ा, पद्मश्री उषा बारले, पद्मश्री राधेश्याम बारले विशेष अतीथि के रूप में मौजूद थे। समारोह में अतिथियों ने कला साहित्य और संस्कृति की मासिक पत्रिका कृति बहुमत के 147 वें अंक, लोकजागरण की मासिक कृति वसुंधरा के 122 वें अंक और श्री चतुर्भुज मेमोरियल फाउंडेशन के नए सामाजिक फोल्डर का लोकार्पण भी किया. समारोह के प्रारंभ में वसुंधरा सम्मान के संयोजक विनोद मिश्र ने आयोजकीय वक्तव्य दिया. अंत में आभार प्रदर्शन डा. अरुण कुमार श्रीवास्तव ने किया. कार्यक्रम का संचालन श्वेता उपाध्याय ने किया.

इस गरिमामयी आयोजन में स्व देवीप्रसाद चौबे के पुत्र प्रदीप चौबे, रविंद्र चौबे, अविनाश चौबे, पद्मश्री राधेश्याम बारले, पद्मश्री उषा बारले, सीमा श्रीवास्तव, कुलपति डा संजय तिवारी, दिवाकर मुक्तिबोध, श्याम वेताल, अभय किशोर, बीके एस रे, ईवी मुरली, नरेंद्र बंछोर, परविंदर सिंह, दिनेश बाजपेयी, आई पी मिश्रा ,नीलम चंद साखला ,श्रद्धा पुरेंद्र साहू, अतुल नागले, शंकर चरण पाण्डेय, रक्षा सिंह, अनिता सावंत, मुमताज लतिका ताम्रकार के साथ साथ बड़ी संख्या में पत्रकार, संपादक, लेखक, राजनीतिज्ञ, प्रशासनिक अधिकारी, लोक कलाकार, चित्रकार, प्रबुद्धजन मौजूद रहे.