कांग्रेस के नेता राहुल गांधी ने सोमवार को सोशल मीडिया पर कांग्रेस संसदीय दल की अध्यक्ष सोनिया गांधी का एक लेख शेयर किया. इसमें उन्होंने ग्रेट निकोबार द्वीप प्रोजेक्ट की वजह से निकोबार के लोगों और वहां के नाजुक पर्यावरण पर हो रहे अन्याय को उजागर किया है. इस प्रोजेक्ट को लेकर कांग्रेस लगातार चिंता जता रही है.
ग्रेट निकोबार द्वीप प्रोजेक्ट भारत सरकार की एक बड़ी योजना है, जो ग्रेट निकोबार द्वीप पर विकास और रणनीतिक लाभ के लिए बनाई जा रही है. इसमें ट्रांसशिपमेंट पोर्ट, इंटरनेशनल एयरपोर्ट, ऊर्जा संयंत्र और एक नया शहर बसाने की योजना शामिल है. इसी प्रोजेक्ट को लेकर होने वाले असर पर सोनिया गांधी ने पत्र लिखा है.
प्रोजेक्ट को लेकर जताई चिंता
राहुल गांधी ने सोशल मीडिया हैंडल एक्स पर पोस्ट शेयर करते हुए कहा, ग्रेट निकोबार द्वीप प्रोजेक्ट एक दुस्साहस, जो आदिवासी अधिकारों को कुचल रही है और कानूनी और विचार-विमर्श की प्रक्रिया का मजाक बना रही है. उन्होंने आगे लिखा कि इस लेख में कांग्रेस संसदीय दल की अध्यक्ष सोनिया गांधी ने बताया है कि इस प्रोजेक्ट से निकोबार के लोगों और वहां के नाजुक पर्यावरण के साथ अन्याय हो रहा है.
सोनिया गांधी ने लेख में क्या-क्या कहा?
कांग्रेस नेता सोनिया गांधी ने द हिंदू अखबार में लिखे संपादकीय में इस प्रोजेक्ट को लेकर चिंता जताई. उन्होंने कहा यह परियोजना दुनिया के सबसे खास पौधों और जानवरों के पर्यावरण को नुकसान पहुंचा सकती है और यह इलाका प्राकृतिक आपदाओं के लिए बहुत ज्यादा संवेदनशील है.
सोनिया गांधी ने अपने लेख में कहा, गलत तरीके से खर्च किए जा रहे 72,000 करोड़ रुपये द्वीप की आदिवासी समुदायों के अस्तित्व के लिए बड़ा खतरा पैदा कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि निकोबारी आदिवासियों के पूर्वजों के गांव इस परियोजना के प्रस्तावित क्षेत्र में आते हैं. ये लोग पहले 2004 की हिंद महासागर सुनामी के दौरान अपने गांव छोड़ने के लिए मजबूर हुए थे और अब यह परियोजना उन्हें हमेशा के लिए विस्थापित कर देगी.
“शोम्पेन समुदाय को बड़ा खतरा”
सोनिया गांधी ने यह भी कहा कि शोम्पेन समुदाय को तो इससे और भी बड़ा खतरा है, क्योंकि केंद्र सरकार के जनजातीय मामलों के मंत्रालय की ओर से जारी शोम्पेन नीति में साफ कहा गया है कि बड़े विकास परियोजनाओं पर विचार करते समय उनकी भलाई और अखंडता को प्राथमिकता दी जानी चाहिए.
उन्होंने आगे कहा, इसके बजाय, यह परियोजना शोम्पेन जनजातीय आरक्षित क्षेत्र का बड़ा हिस्सा हटा रही है, उनके जंगल नष्ट कर रही है और द्वीप पर बड़ी संख्या में लोगों और पर्यटकों के आने का रास्ता बना रही है. कांग्रेस नेता ने यह भी कहा कि जनजातीय अधिकारों की रक्षा के लिए बनाए गए संवैधानिक और कानूनी संस्थानों को इस पूरे प्रक्रिया में दरकिनार कर दिया गया है.
राहुल गांधी ने लिखा था पत्र
कांग्रेस लगातार इस प्रोजेक्ट के खिलाफ अपने विचार सामने रख रही है. इससे पहले भी कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने प्रोजेक्ट को लेकर केंद्रीय जनजातीय कार्य मंत्री जुएल ओराम को पत्र लिखा था. उन्होंने अपने पत्र में आरोप लगाया कि इस प्रोजेक्ट को मंजूरी देने की प्रक्रिया में वनाधिकार कानून (Forest Rights Act – FRA) का उल्लंघन किया गया है. साथ ही पत्र में राहुल गांधी ने सरकार से आग्रह किया है कि वो कानून में तय प्रक्रिया का पालन सुनिश्चित करे.

क्या है ग्रेट निकोबार परियोजना
ग्रेट निकोबार प्रोजेक्ट की शुरुआत नरेंद्र मोदी सरकार ने साल 2021 में की थी। इस मेगा प्रोजेक्ट को अंडमान-निकोबार द्वीप समूहों के आखिरी छोर तक बनाया जाना है। इसके तहत मालवाहक जहाजों के लिए बंदरगाह, एक इंटरनेशनल एयरपोर्ट, स्मार्ट सिटी और 450 मेगावॉट की गैस और सौर बिजली परियोजना को स्थापित किया जाएगा। केंद्र सरकार का ग्रेट निकोबार प्रोजेक्ट 72,000 करोड़ रुपए का प्रोजेक्ट है। ग्रेट निकोबार द्वीप भारत की मुख्य जमीन से करीब 1,800 किलोमीटर दूर पूर्व में स्थित है। यह बंगाल की खाड़ी में 910 वर्ग किमी के हिस्से में बन रहा है। इस द्वीप पर इंदिरा पॉइंट भी है, जो इंडोनेशिया के सबसे बड़े द्वीप सुमात्रा से महज 170 किमी दूर है। हिंद महासागर में भारत के दबदबे के लिहाज से यह परियोजना बेहद अहम है।
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