Rahul Gandhi Parliament Membership Canceled: कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी को लोकसभा सदस्यता गंवानी पड़ी है. ‘मोदी सरनेम’ मामले में टिप्पणी को लेकर सूरत कोर्ट की ओर से दो साल की (Rahul Gandhi Parliament Membership Canceled) सजा सुनाए जाने के बाद यह फैसला हुआ है. आर्टिकल 102(1)(e) के तहत यह फैसला किया गया है.
सूरत कोर्ट के फैसले के दिन यानी 23 मार्च से राहुल गांधी की सदस्यता चली गई है. गौरतलब है कि मोदी उपनाम के मानहानि मामले में कांग्रेस नेता राहुल गांधी को सूरत की अदालत ने गुरुवार को 2 साल (Rahul Gandhi Parliament Membership Canceled) की सजा सुनाई थी. हालांकि कोर्ट ने उन्हें तत्काल जमानत भी दे दी थी. उन्हें उच्च न्यायालय में अपील करने के लिए 30 दिन का समय देने के साथ ही उनकी सजा को निलंबित कर दिया गया.
दरअसल, जनप्रतिनिधित्व कानून के मुताबिक अगर किसी भी मामले में सांसद और विधायक को 2 साल से ज्यादा की सजा हुई है तो उनकी सदस्यता (संसद और विधान सभा से) रद्द कर दी जाती है. इतना ही नहीं सजा (Rahul Gandhi Parliament Membership Canceled) की अवधि पूरी करने के बाद छह साल तक चुनाव लड़ने के भी अयोग्य हैं.
यह बयान एक समस्या बन गया
साल 2019 में राहुल गांधी ने कर्नाटक में एक बयान दिया था, जिसमें उन्होंने कहा था कि ‘मोदी सारे चोरों का सरनेम क्यों है?’ राहुल के इस बयान को लेकर बीजेपी विधायक पूर्णेश मोदी ने उनके खिलाफ (Rahul Gandhi Parliament Membership Canceled) केस दर्ज कराया था. सूरत की सत्र अदालत ने गुरुवार को राहुल गांधी को दोषी करार देते हुए दो साल की सजा सुनाई। राहुल को भी कोर्ट से तुरंत 30 दिन की जमानत मिल गई.
राहुल के पास क्या विकल्प है ?
राहुल गांधी के लिए अपनी सदस्यता बरकरार रखने के सभी रास्ते बंद नहीं हुए हैं. वे अपनी राहत को उच्च न्यायालय में चुनौती दे सकते हैं, जहां सूरत सत्र न्यायालय के फैसले पर रोक लगने पर सदस्यता (Rahul Gandhi Parliament Membership Canceled) बचाई जा सकती है. अगर हाई कोर्ट स्टे नहीं देता है तो सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाना पड़ेगा. ऐसे में अगर सुप्रीम कोर्ट से स्टे मिल भी जाता है तो भी उनकी सदस्यता बचाई जा सकती है.
पहले यह नियम था
जनप्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 8(4) के प्रावधानों के अनुसार, एक मौजूदा सांसद/विधायक दोष सिद्ध होने पर, 3 महीने की अवधि के भीतर फैसले के खिलाफ अपील या पुनरीक्षण आवेदन दायर करके पद पर बने रह सकते हैं. इसे 2013 में सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया था. 2013 के फैसले के अनुसार, अब अगर एक मौजूदा सांसद/विधायक को किसी अपराध का दोषी ठहराया जाता है, तो उसे दोष सिद्ध होने पर तुरंत अयोग्य घोषित कर दिया जाएगा (दोषसिद्धि पर नहीं) और सीट को खाली घोषित कर दिया जाएगा.
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