लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी(Rahul Gandhi) ने भारत की टेक्सटाइल उद्योग(Textile Industry) की जानकारी हासिल करने के लिए एक दुकान का दौरा किया. इस दौरान उन्होंने विभिन्न प्रकार के कपड़ों के बारे में जानकारी प्राप्त की. राहुल ने दिल्ली में एच.पी. सिंह फैब्रिक्स के मालिक से मुलाकात की और वहां उपस्थित लोगों के साथ संवाद भी किया. इस बातचीत का वीडियो उन्होंने अपने यूट्यूब चैनल पर साझा किया है. वीडियो के साथ, राहुल ने X पर भारत के टेक्सटाइल मार्केट पर चर्चा की है.

राहुल गांधी ने बताया कि भारत की कपड़ा संस्कृति अद्वितीय है. हर 100 किलोमीटर पर एक नया शिल्प और एक नई कथा देखने को मिलती है, लेकिन वर्तमान में, हमारे कपास के बीज और कृषि तकनीक का बड़ा हिस्सा विदेशी कंपनियों पर निर्भर है. इसके परिणामस्वरूप, किसानों को उचित मूल्य नहीं मिल रहा है और हमारी आपूर्ति श्रृंखला अत्यधिक विखंडित हो गई है.

उन्होंने बताया कि हाल ही में उन्होंने दिल्ली में एचपी सिंह फैब्रिक्स के संचालक परिवार से बातचीत की, ताकि सप्लाई चेन की प्रक्रिया को समझा जा सके, जो एक साधारण कपास की कली से शुरू होकर उसे आकर्षक कपड़ों में बदलती है.

‘तेरे पेट में लात मारकर बच्चा गिरा दूंगा’… प्रेग्नेंट महिला ने AC चलाने कहा तो भड़के ड्राइवर ने दी धमकी

भारत बन सकता फिर वैश्विक टेक्सटाइल सेंटर- राहुल

राहुल गांधी ने व्यक्त किया कि उनका मानना है कि भारत, जो वर्तमान में टेक्सटाइल निर्यात में चीन से लगभग 10 गुना पीछे है, एक बार फिर से वैश्विक टेक्सटाइल केंद्र बन सकता है, यदि सरकार उचित नीतियों का समर्थन करे. इसके लिए आवश्यक है कि स्वदेशी कपास में निवेश किया जाए, एकीकृत कपड़ा क्षेत्र का विकास किया जाए, और भारत के नेतृत्व में वैश्विक प्रमाणन प्रणाली स्थापित की जाए.

उन्होंने उल्लेख किया कि यदि वैल्यू चेन में सभी के लिए उचित बुनियादी ढांचा और सम्मान सुनिश्चित किया जाए, तो भारत एक बार फिर कपड़ा बाजार में प्रमुखता हासिल कर सकता है. इसके साथ ही, उन्होंने अपने पोस्ट में स्टोर के दौरे और मालिकों के साथ की बातचीत का छह मिनट का वीडियो भी साझा किया है.

आयुष्मान भारत योजना: 27 बीमारियों का फ्री इलाज, 10 लाख का कवरेज; 5 दिन में 1 लाख लोगों को जोड़ेगी दिल्ली सरकार

राहुल गांधी ने एक वीडियो में टेक्सटाइल व्यापारियों से चर्चा करते हुए बताया कि सिंह परिवार के साथ उनकी बातचीत केवल कपड़ों तक सीमित नहीं थी, बल्कि यह सम्मान, स्थिरता और आर्थिक आत्मनिर्भरता के मुद्दों पर भी केंद्रित थी. उन्होंने यह भी कहा कि भारत में हर 100 किलोमीटर पर एक नई टेक्सटाइल परंपरा, एक नया कला रूप और एक नई कहानी देखने को मिलती है, लेकिन इस सुंदरता के पीछे एक गंभीर चुनौती छिपी हुई है.