रायपुर. छत्तीसगढ़ के राहुल गुप्ता ने प्रदेश में इतिहास रच दिया है. राहुल ऐसे पहले छत्तीसगढ़ी बन गए हैं. जिन्होंने दुनिया की सबसे ऊंची चोटी माउंट एवरेस्ट पर तिरंगा फहराने में सफलता हासिल की थी. इसके बाद शुक्रवार को छत्तीसगढ़ खेल युवा कल्याण विभाग ने राहुल गुप्ता का सम्मान किया है. छत्तीसगढ़ प्रशासने ने भी राहुल की काफी मदद की है.
बता दें कि राहुल गुप्ता अंबिकापुर के रहने वाले है. उन्होंने सेना के जवानों के साथ कठिन परिस्थितियों में पर्वतारोहण की बारीकियां सीखी थी. एवरेस्ट फतह उनका सपना था. इसे पूरा करने की शुरुआत 22 अंतरराष्ट्रीय पर्वतारोहियों के साथ शुरू किया. अभियान का नेतृत्व भी राहुल ने किया. उसने बताया कि 8 अप्रैल को नेपाल होते हुए बेस कैंप पहुंचे. जहां से पांच कैंप से होते 22 दिन की कड़ी मशक्कत के बाद प्राकृतिक आपदाओं को झेलते हुए 14 मई की सुबह एवरेस्ट की चोटी फतह की.
जितना मुश्किल एवरेस्ट की चोटी पर पहुंचना था, वापसी भी संकट से भरा रहा. 12 से 16 घंटे तक करीब 120 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से चलने वाले तूफान का सामना करना पड़ा. एवरेस्ट फतह करने की खुशी से ज्यादा जरूरी पूरे दल को सुरक्षित करना था. टीम की हौसला आफजाई से सभी साथी धैर्य व हिम्मत बंधे रहे. तेज तूफान के चलते राहुल को स्नो ब्लाइंडनेस और फ्रोस्ट बाइट हो गया था. नेपाल की राजधानी काठमांडू के हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया था. सही समय पर अस्पताल में भर्ती होने से राहुल की जान बच सकी. जिसके बाद वे सकुशल छत्तीसगढ़ वापस लौट गए थे.
राहुल पर्वतारोहण को जीवन का लक्ष्य बनाया और तीसरे प्रयास में सफलता पाई. वर्ष 2015 में माउंट एवरेस्ट की ऊंचाई 8848 मीटर है. राहुल ने 8200 मीटर तक का रास्ता तय कर लिया था. पर नेपाल में आए भूकंप के झटकों से अभियान को रोकना पड़ा. इसके बाद भी एक बार फिर राहुल ने कोशिश की, लेकिन स्नो ब्लाइंडनेस के शिकार होने से वापस लौटना पड़ा. बावजूद दृढ़ इच्छाशक्ति से उन्होंने तीसरे प्रयास में सफलता प्राप्त की है.