नई दिल्ली. जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हाल ही में हुए आतंकी हमले के बाद कांग्रेस पार्टी ने केंद्र सरकार से संसद का विशेष सत्र बुलाने की मांग तेज कर दी है. नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी और कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने लोकसभा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखते हुए आतंकवाद के खिलाफ एकजुट रुख अपनाने की अपील की है.

राहुल गांधी का कहना है कि देश को यह संदेश देना चाहिए कि हम आतंकवाद के खिलाफ एक साथ खड़े हैं. उनकी मांग की है कि इस संवेदनशील मसले पर संसद का विशेष सत्र बुलाया जाए, ताकि सरकार द्वारा उठाए गए कदमों पर विस्तृत चर्चा की जा सके और जनता को जानकारी दी जा सके. हालांकि, सरकार की ओर से इस पर अब तक कोई सकारात्मक संकेत नहीं दिया गया है.

कांग्रेस ने पहले सर्वदलीय बैठक में भी यह मुद्दा उठाया था और कहा था कि इस गंभीर मसले पर संसद में खुली बहस की जानी चाहिए. पार्टी का तर्क है कि राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ी इस घटना को लेकर जनप्रतिनिधियों को भरोसे में लिया जाना चाहिए.

सहमति के साथ दबाव भी

कांग्रेस ने यह भी स्पष्ट किया है कि अगर सरकार इस हमले के जवाब में कोई ठोस कार्रवाई करती है, तो पार्टी उसका समर्थन करेगी. लेकिन इसके साथ ही वह चाहती है कि इस विषय पर संसद में विस्तार से चर्चा हो. कांग्रेस नेताओं का मानना है कि यदि संसद का सत्र चल रहा होता, तो सरकार शायद सुरक्षा का हवाला देकर बहस से बचने की कोशिश करती.

अब पार्टी अन्य विपक्षी दलों से भी संपर्क कर रही है ताकि एकजुट होकर सरकार पर विशेष सत्र बुलाने का दबाव डाला जा सके. हालांकि, मौजूदा स्थिति को देखते हुए केंद्र सरकार इस मांग को स्वीकार करने के मूड में नहीं नजर आ रही.

बीजेपी का रुख

बीजेपी नेता और पूर्व संसदीय कार्य मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा कि देश के इतिहास में युद्ध या युद्ध जैसे हालात के दौरान कभी विशेष सत्र नहीं बुलाया गया. उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि 1962 के भारत-चीन युद्ध के छह महीने पहले संसद का विशेष सत्र हुआ था, लेकिन खुद युद्ध के दौरान ऐसा कोई सत्र नहीं हुआ.

जरूरत पड़ने पर विशेष सत्र की जाएगी आहूत : JDU

जेडीयू कोटे के मंत्री जयंत राज ने कहा है कि अगर जरूरत पड़ी तो केंद्र सरकार विशेष सत्र जरूर बुलाएगी. उन्होंने कहा कि एनडीए सरकार आतंकवाद के खिलाफ सख्त रुख अपनाए हुए है और पाकिस्तान के खिलाफ लगातार कार्रवाई हो रही है, जैसे सिंधु जल समझौते पर रोक और वीजा रद्द करना.

मंत्री जयंत राज

जयंत राज ने कहा कि यह मुद्दा राजनीति से ऊपर है और ऐसी गंभीर घटनाओं पर राजनीति नहीं होनी चाहिए. साथ ही उन्होंने बताया कि देशभर में एकता का माहौल है और केंद्र सरकार हर संभव सख्त कदम उठा रही है. विपक्षी दलों की मांग के बाद अब जेडीयू ने भी विशेष सत्र का समर्थन किया है, हालांकि केंद्र सरकार की तरफ से अभी तक कोई औपचारिक बयान सामने नहीं आया है.

विशेष सत्र का इतिहास

स्वतंत्र भारत का पहला विशेष सत्र 14-15 अगस्त 1947 को देश की आजादी के अवसर पर हुआ था. इसके बाद 1962 में चीन युद्ध, 1972 में आजादी की रजत जयंती, 1997 में स्वर्ण जयंती और 2017 में जीएसटी लागू करने के लिए विशेष सत्र बुलाए गए.

हाल ही में, 18 से 22 सितंबर 2023 को हुए विशेष सत्र के दौरान संसद ने नए भवन में प्रवेश किया. यह मोदी सरकार के कार्यकाल का तीसरा और देश का नौवां विशेष सत्र था.