चंडीगढ़। प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने भ्रष्टाचार के मामले में जीएमएडीए (ग्रेटर मोहाली एरिया डेवलपमेंट अथॉरिटी) के पूर्व चीफ इंजीनियर सुरिंदर पाल सिंह और उनके सहयोगियों के घर और ऑफिस में छापेमार कार्रवाई की. ईडी के अधिकारियों ने कुल 5 लॉकरों और एफडीआर मिलाकर 6.70 करोड़ रुपए बरामद किए हैं.

 

करोड़ों रुपए के भ्रष्टाचार के मामले

ग्रेटर मोहाली एरिया डेवलपमेंट अथॉरिटी जीएमएडीए के पूर्व चीफ इंजीनियर सुरिंदर पाल सिंह पहलवान पर करोड़ों रुपए के भ्रष्टाचार मामले चल रहे हैं. प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने फास्टवे मीडिया केबल नेटवर्क और जुझार बस सेवा के मालिक गुरदीप सिंह के आवास पर भी छापेमारी की. ईडी की ओर से प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (PMLA) के तहत यह कार्रवाई की गई है.

 

प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट के तहत कार्रवाई

ईडी के सूत्रों ने कहा कि वे चीफ इंजीनियर सुरिंदर पाल सिंह पहलवान के साथ गुरदीप के संबंध की जांच कर रहे हैं, जो अभी भी निलंबित है. ईडी ने 31 मार्च को भ्रष्टाचार मामले में जीएमएडीए के तत्कालीन मुख्य अभियंता और अन्य के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग का मामला दर्ज किया था. सुरेंद्र पाल के खिलाफ ईडी का मामला उनके खिलाफ दर्ज किया गया ऐसा दूसरा मामला था. उनके खिलाफ पहला मामला राज्य सतर्कता ब्यूरो ने दर्ज किया था. छापेमारी के क्रम में ईडी ने 5 लॉकर में रखे गए 6.70 करोड़ रुपये और एफडीआर सीज किए हैं.

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ईडी के अधिकारियों के मुताबिक, करप्शन की सूचना टीम को मिली थी. इनपुट के आधार पर टीम ने कई जगहों पर छापेमारी की है. फिलहाल आगे की जांच की जा रही है. प्रवर्तन निदेशालय ने मामले में गुरिंदरपाल सिंह, अमित गर्ग, गुरमेश सिंह गिल, मोहित कुमार के साथ दो फर्मों- ओंकार बिल्डर्स एंड कॉन्ट्रैक्टर्स और राजिंदर एंड कंपनी को भी आरोपी बनाया गया है. पूर्व चीफ इंजीनियर के खिलाफ सबसे पहले राज्य सतर्कता ब्यूरो ने 9 जून, 2017 को मामला दर्ज किया था. जांच में पता चला कि पूर्व चीफ इंजीनियर करीब 1200 करोड़ के काम का आवंटन मनमाने दाम पर किया. इसके लिए उन्होंने रिश्वत ली और अपना काला धन फर्जी कंपनियों के खातों में भी रखा था.

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बता दें कि सुरिंदर पाल सिंह पहलवान 2014 में जीएमएडीए में अधीक्षण अभियंता बने और 2016 तक मुख्य अभियंता के रूप में काम किया. राज्य सतर्कता ब्यूरो ने अदालत के आदेश के बाद मोहाली, चंडीगढ़, लुधियाना, रोपड़ में 26 करोड़ रुपये की उनकी 59 संपत्तियों को अटैच किया था. वे वर्ष 1993 में पंजाब मंडी बोर्ड में एक जूनियर इंजीनियर के रूप में शामिल हुए थे. ब्यूरो ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि उन्होंने एक निर्माण कंपनी ‘एक ओंकार बिल्डर्स एंड कंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड’ सहित तीन कंपनियों को रजिस्टर्ड किया था. उन्हें अवैध रूप से इसे निविदाएं आवंटित की थीं और करीब 100 करोड़ रुपए की धोखाधड़ी की थी.