रायपुर। रायगढ़ ज़िले के 80 से ज्यादा आदिवासी परिवारों ने अपनी ज़मीन दो कंपनियों के एजेंटों द्वारा हड़पने का आरोप लगाया है. आदिवासियों ने सरकार से इस मामले की निष्पक्ष जांच कराने की मांग की है. एमनेस्टी इंडिया ने रायपुर में प्रेस कांफ्रेस करके ये तमाम बाते कहीं.
81 आदिवासियों की रिपोर्ट थाने में नहीं लिखी गई- एमनेस्टी इंडिया
रायपुर में एमनेस्टी इंटरनेशनल इंडिया ने एक प्रेस कांफ्रेंस करके बताया कि बुधवार को 81 आदिवासी महिलाओं और पुरुष रायगढ़ के एससी-एसटी थाने में जब रिपोर्ट दर्ज कराने पहुंचे तो थाने ने रिपोर्ट लिखने से मना कर दिया. आदिवासियों का आरोप है कि टीएनआर एनर्जी और महावीर एनर्जी कोयला बेनिफिशिएशन लिमिटेड के एजेंटो द्वारा धोखाधड़ी करके उनकी ज़मीनों पर गैरकानूनी तरीके से कब्जा किया गया. आरोप है कि इसमें स्थानी भूमि पंजीकरण अधिकारियों की भी मिलीभगत थी.
पुलिस को मुकदमा दर्ज करना चाहिए- एमनेस्टी इंडिया
एमेस्टी इंडिया ने मांग की है कि छत्तीसगढ़ पुलिस को मामले की जांच करके जिम्मेदार लोगों पर मुकदमा दर्ज करना चाहिए. एमेस्टी इंडिया ने ये भी मांग की है कि पुलिस को यह भी जांच करना चाहिए कि क्या इन आरोपों में ज़मीन के अवैध कब्जे के व्यस्थित स्वरुप के प्रमाण मिले हैं.
किसानों ने एमनेस्टी इंडिया को बताया
एमेस्टी इंडिया को खोखराओमा, कटगड़ी, भेंगाडी और नवापाड़ा टेंडा के गांव के लोगों ने बताया कि 2009 से 2011 के बीच टीएनआर एनर्जी के एजेंटों ने लोगों को अपनी ज़मीन बेचने पर मजूबर कर दिया. टीएएनआर एनर्जी एसीबी इंडिया पावर लिमिटेड की सहायक कंपनी है. टीआरएन एनर्जी खोखराओमा में 600 मेगावॉट बिजली का उत्पादन कर रही है.
इसी तरह भेंगाड़ी गांव के लोगों को 2004 से 2007 के बीच में एमईसीबीएल के एजेटों द्वारा जमीन बेचने को मजबूर किया गया. एमईसीबीएल भेंगाड़ी में 12 मैगावाट का बायोमास बिजली संयंत्र संचालित कर रही है.
सबसे खास बात है कि प्रभावित गांव की ग्राम सभाओं ने 2015 और 2016 में प्रस्ताव पारित किए हैं कि उनकी भूमि धोखाधड़ी और जबरदस्ती खरीदी गई है.