रायपुर. रायगढ़ सांसद गोमती साय ने बुधवार को सदन में मात्रात्मक त्रुटि संसोधन विधयेक का मुद्दा उठाया. उन्होंने संशोधन विधेयक के समर्थन में अपनी बात रखी. सांसद ने कहा कि जिस राज्य से मैं चुन कर आई हूं वह छत्तीसगढ़ एक आदिवासी राज्य है, यहां बस्तर से सरगुजा तक आदिवासियों की बसाहट है. राज्य की कुल जनसंख्या का 30 प्रतिशत हिस्सा आदिवासियों का ही है. इनमें से 5 आदिवासियों को केंद्र सरकार ने अति पिछड़ा जनजाति में शामिल किया गया है. इसके अलावा राज्य सरकार ने 2 जनजातियों को अति पिछड़ा माना है. लेकिन इसके बाद भी राज्य के कई जातिय समुदाय आदिवासी होने के बाद भी केवल जाति के नाम पर मात्रात्मक त्रुटि के कारण सरकारी योजनाओं का लाभ नहीं मिलता था. जनजाति समुदाय के लोगों को हित पहुंचाने वाले संशोधन विधेयक से मात्रा की त्रुटी के कारण अपने अधिकार से वंचित 20 लाख से ज्यादा आदिवासियों को हक मिल सकेगा.

सांसद ने कहा कि- ‘मैं एक वनवासी बाहुल्य क्षेत्र की सांसद हूं, आज जो संशोधन विधेयक पर चर्चा हो रही है ऐसी 12 जनजातियां उसमें भारिया, भूमिया, धनुहार, सावरा और विशेषकर नगेसिया समाज के जीवन में क्रांतिकारी परिवर्तन होने वाला है. ये समाज जब से संविधान में आरक्षण का प्रावधान हुआ है तब से लेकर आज तक मात्रा त्रुटि अथवा अन्य कारणों से आरक्षण के लाभ से वंचित रहे हैं. इस विधेयक के पारित होने से उनके जीवन में कितनी खुशहाली आएगी उसकी कल्पना नहीं की जा सकती है. इन जाति समुदायों के अनुसूचित जनजातियों की सूची में शामिल होने के बाद इन्हें सरकार की अनुसूचित जनजातियों के लिए संचालित योजनाओं का लाभ मिलने लगेगा. छात्रवृति, रियायती ऋण, अनुसूचित जनजातियों के बालक-बालिकाओं के छात्रावास की सुविधा मिलेगी. वहीं सरकारी नौकरी और शैक्षणिक संस्थानों में आरक्षण का भी लाभ मिल सकेगा.

गोमती साय ने कहा कि आरक्षण का प्रश्न केवल शिक्षा, रोजगार, सक्षमीकरण तक ही सीमित नहीं है, बल्कि आज यह विषय अपने अस्तित्व के साथ भी जुड़ा हुआ है. आदिवासी मूलतः प्राकृतिक का उपासक है वो जंगल, नदी, पहाड़, पर्वत और मातृभूमि को अपना देवता मानते हैं. हमारे संविधान निर्माताओं ने दूरस्थ वनों में रहने वाले सुविधाओं से वंचित लोगों के लिए संविधान में आरक्षण का प्रावधान किया गया था. अतः अंत में मैं भारत सरकार के जनजाति मंत्री जी को हृदय से धन्यवाद देती हूं कि उन्होंने भारिया भूमिया धनुहार नगेसिया और अन्य समाज के लोगों के लिए जो संशोधन विधेयक लाया है. इन सभी समाज की ओर से उनके प्रति आभार प्रकट करते करते हुए प्रस्तावित संशोधन विधायक का समर्थन करती हूं और वर्तमान में कुछ और जनजाति है जो मात्रा त्रुटि के कारण उनको लाभ नहीं मिल पा रहा है, मैं आपके माध्यम से उन जनजातियों के लिये कार्य किया जाये चाहती हूं.

सांसद ने प्रस्ताव का समर्थन करते हुए इस तथ्य की ओर ध्यान आकर्षण किया कि हमारे क्षेत्र में अत्यंत पिछड़ी कोरवा जनजाति निवास करती है. जिसे महामहिम राष्ट्रपति के दत्तक पुत्र की मान्यता प्राप्त है. ये कोरवा जनजाति दो भागों में बंटी हुई है. एक पहाड़ी कोरवा और दूसरी डीहारी कोरवा के नाम से जानी जाती है. पहाड़ी कोरवा को तो आरक्षण की सभी सुविधाएं प्राप्त है, लेकिन डीहारी कोरवा अभी भी इस लाभ से वंचित हैं. उन्हें भी आरक्षण का लाभ दिया जाए.