Railbus running on train track in Sri Lanka: ट्रेनों को अक्सर रेलवे रूटों पर रोका जाता है, जहां यात्रियों की संख्या बहुत कम होती है. ऐसा रेलवे को हो रहे घाटे के चलते किया गया है, जो एक मायने में ठीक भी है, लेकिन भारत के पड़ोसी देश श्रीलंका ने इसका हल निकाल लिया है.

इसमें भारत ने भी उनकी काफी मदद की है. श्रीलंका में कुछ रूट ऐसे हैं, जहां रेल यात्रियों की संख्या बहुत कम है. यहां ट्रेनों पर अनावश्यक पैसे खर्च करने की बजाय बसों को पटरी पर दौड़ाया जाता है.

अब आप सोच रहे होंगे कि रेल की पटरी पर बस कैसे चलाई जा सकती है. नीचे दी गई रेल बस की तस्वीर को देखें. बाकी सब कुछ बस जैसा ही है, लेकिन ड्राइवर का स्टीयरिंग व्हील हटा दिया गया है. सबसे बड़ा बदलाव यह है कि इसके पहियों को ट्रेन के पहियों से बदल दिया गया है. 2 बसों को मिलाकर 1 रेलबस बनता है. बस के दोनों तरफ ड्राइवर केबिन हैं.

भारत का सहयोग

भारत और श्रीलंका मित्र देश हैं। श्रीलंका की मदद के लिए भारत हमेशा आगे आता है. ट्रैफिक की सुविधा बढ़ाने के लिए भारत इस खूबसूरत पड़ोसी देश की मदद करता है. हाल ही में देश ने श्रीलंका को 75 बसें उपहार में दी थीं. हालांकि बसों को गिफ्ट करने का दौर कोई नया नहीं है.

2009 में सिर्फ रेल बस प्रोजेक्ट के लिए 10 बसें गिफ्ट की गई थीं. इन्हें मॉडिफाई करके श्रीलंका ने इन्हें 5 रेलबसों में तब्दील कर दिया. इन 10 बसों की आपूर्ति अशोक लीलैंड ने की थी. श्रीलंका में रेलबस की शुरुआत 1995 में हुई थी. तब टाटा की 2 बसों को मिलाकर एक रेलबस बनाया गया था.

कौन से मार्ग संचालित होते हैं

वर्तमान में रेल बस निम्नलिखित मार्गों पर चलती है. चिलाव से पुट्टलम, बत्तीकोला से गलोया, त्रिंकोमाली से गलोया, अनुराधापुरा से मेदवाचिया, कुरुनेगला, महावा, पेरेदानिया से कैंडी और महारगामा से कोसागामा. अगर आप कभी श्रीलंका घूमने जाएं तो इन रूट्स पर रेलबस का लुत्फ उठा सकते हैं.

आमतौर पर इन रूटों पर भीड़ कम होती है. रेल बस घने जंगलों और खेतों से होकर गुजरती है। किराए को लेकर स्टेशन से बेहतर जानकारी मिल सकेगी.

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