रेल मंत्री अश्वनी वैष्णव के लोकसभा में भाषण के दौरान काफी हंगामा हुआ. वैष्णव रेलवे में हो रहे सुधारों और लोको पायलटों के लिए की गई व्यवस्थाओं पर बोल रहे थे, तभी एक विपक्षी सांसद ने उन्हें ‘रील मंत्री’ कहकर ताना मारा. इससे अश्वनी वैष्णव नाराज हो गए और उन्होंने सांसद को चुप रहने की नसीहत दी.
पिछले दो दिन की चर्चा का जवाब देते हुए वैष्णव ने कहा, “हम केवल रील बनाने वाले नहीं, बल्कि मेहनत करने वाले लोग हैं.” उनकी यह टिप्पणी तब आई जब विपक्ष ने रेल बजट पर चर्चा के दौरान “अश्विनी वैष्णव हाय हाय” के नारे लगाए.
वैष्णव ने बताया कि लोको पायलट रेलवे मंत्रालय के महत्वपूर्ण सदस्य हैं और उनके लिए कुछ महत्वपूर्ण कदम उठाए गए हैं. जब लोको पायलट अपनी ड्यूटी पूरी करके आते हैं तो वह अपने रूम में आराम करते हैं. इस दौरान किसी विपक्षी सांसद ने ‘रील मंत्री’ कह दिया. इस पर वैष्णव ने जवाब दिया, “हम केवल रील बनाने वाले नहीं हैं, हम मेहनत करने वाले लोग हैं, काम करने वाले लोग हैं.”
रेल मंत्री ने कहा कि लोको पायलटों के औसत कार्य और आराम का समय 2005 में बनाए गए एक रेलवे एक्ट के नियम द्वारा तय किया जाता है. 2016 में, हमने इन नियमों में संशोधन किया और लोको पायलटों को अधिक सुविधाएं दी गईं. सभी रनिंग रूम में एयर कंडीशनर लगाया गया है और 7,000 से अधिक लोको कैब वातानुकूलित किए गए हैं. पहले यह संख्या शून्य थी.
कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों पर रेलवे की सुरक्षा को लेकर ‘झूठ की दुकान’ चलाने का आरोप लगाते हुए वैष्णव ने कहा कि ‘कवच’ प्रणाली को पूरे देश के रेलवे नेटवर्क पर लगाने में कोई कसर नहीं छोड़ी जाएगी. उन्होंने यह भी बताया कि सामान्य डिब्बों की बढ़ती मांग को देखते हुए लगभग ढाई हजार सामान्य कोच का उत्पादन किया जा रहा है, 50 और अमृत ट्रेन के निर्माण का फैसला लिया गया है और कम दूरी वाले दो शहरों के बीच वंदे मेट्रो चलाई जाएंगी.
उन्होंने कहा कि अधिकांश देशों में 1970 और 1980 के दशक में स्वचालित ट्रेन सुरक्षा (ATP) प्रणाली लगाई गई थी, लेकिन कांग्रेस के 58 साल के कार्यकाल में भारत में इसे लागू नहीं किया गया.
वैष्णव ने कहा, “हम मानते हैं कि कांग्रेस के समय रेलवे में कई प्रयोग किए गए, लेकिन जिस संवेदना और भावना से काम होना चाहिए था, वैसा नहीं हुआ.” पश्चिम बंगाल के कुछ सदस्यों द्वारा ममता बनर्जी के रेल मंत्री रहते समय लागू की गई ‘टक्कर रोधी उपकरण’ प्रणाली का उल्लेख किए जाने पर वैष्णव ने कहा कि 2006 में लगभग 1500 किलोमीटर रेल मार्ग पर यह प्रणाली लगाई गई थी, लेकिन इसका कोई सुरक्षा प्रमाणपत्र नहीं था और 2012 में इसे हटा दिया गया.
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विपक्ष के कुछ सदस्यों ने इस पर आपत्ति जताई, लेकिन वैष्णव ने कहा, “मैं यहां राजनीति नहीं करना चाहता, केवल तथ्यों को स्पष्ट रूप से रखना चाहता हूं.” उन्होंने कहा कि 2014 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार बनने के बाद ‘कवच’ प्रणाली पर विचार किया गया और 2016 में इसे लागू करने का निर्णय लिया गया.
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