नई दिल्ली/तेलंगाना। स्वदेश निर्मित ट्रेन टक्कर सुरक्षा प्रणाली ‘कवच’ का परीक्षण कर भारतीय रेलवे ने शुक्रवार को एक नया इतिहास रच दिया है. ट्रेन में बैठकर रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने ट्रेन टक्कर सुरक्षा प्रणाली ‘कवच’ का परीक्षण किया. दरअसल देश की सबसे बड़ी सार्वजनिक परिवहन भारतीय रेलवे में सुरक्षा हमेशा से एक बड़ी चुनौती रही है. इसी कड़ी में रेलवे ने ‘कवच’ का सफल परीक्षण किया. इस परीक्षण के दौरान खुद रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव इंजन में लोको पायलट के साथ मौजूद रहे.
सिकंदराबाद में किया गया कवच परीक्षण
ये परीक्षण सिकंदराबाद में किया गया. रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव सनतनगर-शंकरपल्ली मार्ग पर गुल्लागुड़ा रेलवे स्टेशन से आने वाली ट्रेन में मौजूद थे और दूसरी ओर से चिठिगुड़ा रेलवे स्टेशन के तरफ से आने वाली लोको में रेलवे बोर्ड के चेयरमैन वीके त्रिपाठी मौजूद थे. दोनों इंजन एक-दूसरे के सामने आकर खड़ी हो गई. केंद्रीय रेल मंत्री उस वक्त खुद इंजन में लोको पायलट के हौसला बढ़ाने के लिए मौजूद थे. उल्लेखनीय है कि जिस ट्रेन में रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव सवार थे, वह ट्रेन सामने से आ रही ट्रेन से 380 मीटर पहले ही रुक गई. जैसा कि कहा गया था कि टक्कर से बचाने के लिए उपयोग किये गए ‘कवच’ तकनीक की वजह से ट्रेनों में अपने आप ब्रेक लग गए. इस परीक्षण को लेकर रेल मंत्री द्वारा एक मिनट का वीडियो शेयर किया गया है, जिसमें लोको पायलट वाले केबिन में रेल मंत्री समेत अन्य अधिकारी दिखाई दे रहे हैं.
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रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने शुक्रवार को ट्वीट कर कहा, ”रियर-एंड टक्कर परीक्षण सफल रहा है. कवच ने अन्य लोको से 380 मीटर पहले लोको को स्वचालित रूप से रोक दिया.” ‘कवच’ प्रणाली में उच्च आवृत्ति के रेडियो संचार का उपयोग किया जाता है. अधिकारियों के मुताबिक कवच एसआईएल-4 (सुरक्षा मानक स्तर चार) के अनुरूप है, जो किसी सुरक्षा प्रणाली का उच्चतम स्तर है. एक बार इस प्रणाली का शुभारंभ हो जाने पर 5 किलोमीटर की सीमा के भीतर की सभी ट्रेन बगल की पटरियों पर खड़ी ट्रेन की सुरक्षा के मद्देनजर रुक जाएंगी. कवच को 160 किलोमीटर प्रति घंटे तक की गति के लिए अनुमोदित किया गया है.
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साल 2022 के केंद्रीय बजट में आत्मनिर्भर भारत पहल के तहत 2,000 किलोमीटर तक के रेल नेटवर्क को ‘कवच’ के तहत लाने की योजना है. दक्षिण मध्य रेलवे की जारी परियोजनाओं में अब तक कवच को 1098 किलोमीटर मार्ग पर लगाया गया है. कवच को दिल्ली-मुंबई और दिल्ली हावड़ा रेल मार्ग पर भी लगाने की योजना है, जिसकी कुल लंबाई लगभग 3000 किलोमीटर है. जानकारी के मुताबिक कवच एक एंटी कोलिजन डिवाइस नेटवर्क है जो कि रेडियो कम्युनिकेशन, माइक्रोप्रोसेसर, ग्लोबर पोजिशनिंग सिस्टम तकनीक पर आधारित है. इस तकनीक ‘कवच’ के तहत जब दो आने वाली ट्रेनों पर इसका उपयोग होगा, तो ये तकनीक उन्हें एक-दूसरे का आकलन करने में और टकराव के जोखिम को कम करने में ऑटोमैटिक ब्रेकिंग एक्शन शुरूकर देगी. इससे ट्रेनें टकराने से बच सकेंगी.
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हालांकि इससे पहले साल 2017 में ही केंद्र सरकार ने एम-कवच एप को लॉन्च किया था. यह ऐप हैकर्स से बचाने में बेहद महत्वपूर्ण है, सायबर हमलों की गुंजाइश काम कर देता है. इसे भारत सरकार के सेंटर फॉर डेवलपमेंट ऑफ एडवांस्ड सिस्टम ने विकसित किया है. सरल भाषा में इसे मोबाइल सुरक्षा से जुड़ा एप कहा जा सकता है. अब इस तकनीक का इस्तेमाल भारतीय रेल यात्रियों के सफर को सुरक्षित करने का लिए कर रहा है.
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