Railway News: प्रतीक चौहान. रायपुर. दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे जोन के जीएम और डीआरएम की पत्नी को अपने साथ घुमाने वाले OS को बतौर तोहफे में पत्नी द्वारा की गई गलती को वर्षों से रेलवे अधिकारियों ने छिपाकर रखा. उस गलती को मानो भूल गए, उसे नियमों के विपरित प्रमोशन दिया.
हम बात कर रहे है कमर्शियल विभाग के ओएस आदिराज और उनकी पत्नी पद्मा ज्योति की. ये वहीं ओएस हैं जिन्होंने पिछले दिनों रायपुर में SECR GM और RAIPUR DRM की पत्नी को अपने साथ रायपुर में शासकीय गाड़ी में तब घुमाने निकले थे जब जीएम रायपुर निरीक्षण करने पहुंचे थे. इस मामले को लल्लूराम ने एक्सपोज किया था. अब मामला में लल्लूराम डॉट कॉम को और कई पुख्ता जानकारी मिली है. जिसमें ये पता चला है कि उक्त ओएस को अधिकारियों का प्रोटोकॉल करने की एवज में कई तरह के लाभ रेलवे अधिकारी कई समय से देते आ रहे है.
OS की पत्नी से करनी है 1 लाख 77 हजार 560 की रिकवरी
कमर्शियल विभाग में ओएस आदिराज के गोपनीय शाखा के कारनामे विभाग में किसी से छिपे नहीं है. यही कारण है कि उन्हें इस शाखा से हटाया गया. उनके प्रोटोकॉल के टैलेंट को देखते हुए पिछले डीआरएम ने अपने बेटे की शादी में इनकी पूरी सेवा ली. जिसके बाद वर्तमान डीआरएम भी इनके टैलेंट का इस्तेमाल कर रहे है. यहां किए जाने वाले टैलेंट के एवज में नियमों को ताक में रखकर रेलवे अधिकारी इनकी पत्नी पद्मा ज्योति को फायदा पहुंचा रहे है.
लल्लूराम के पास ऐसे दस्तावेज मौजूद है. जिससे ये पता चलता है कि पद्मा ज्योति पर 1 लाख 77 हजार 560 रूपए का बकाया है. ये बकाया आरक्षण केंद्र रायपुर में हुई कथित चोरी के मामले का है. ये रिकवरी 2013 अक्टूबर से लंबित है. यानी पिछले 10 सालों से पद्मा ज्योति के खिलाफ विभाग ने इस रिकवरी को लेकर कोई भी ठोस कार्रवाई नहीं की. जब इस मामले में बिलासपुर में एक आरटीआई लगी तब अधिकारियों की कुंभकर्णीय नींद खुली और 24 फरवरी 2023 को नियमावली खंड 2 पैरा 2731 के तहत जांच कमेटी गठित करने का आदेश रायपुर रेल मंडल के सीनियर डीसीएम डॉ विपिन वैष्णव ने दिया.
लेकिन रेलवे के एक जानकार ने बताया कि खंड 2 पैरा 2731 को यदि अधिकारी एक बार पढ़ लेते तो शायद इस नियम के तहत जांच समिति गठित नहीं करते. इसके पीछे की वजह भी ये बताई गई है कि इस मामले में ओएस की पत्नी पद्मा ज्योति को सेफ करना हो सकता है.
क्या कहता है खंड दो का पैरा 2731
क्या है आरक्षण केंद्र में 1 लाख 77 हजार 560 रूपए की चोरी का मामला
30 सितंबर 2013 को आरक्षण केंद्र के काउंटर नंबर 6 में पद्मा ज्योति ड्यूटी कर ही थी. ड्यूटी के बाद जो टिकटें बनी थी उसका कैश 1 लाख 77 हजार 560 रूपए बैंक में जमा होना था, जो नहीं हुआ. उक्त राशि को वे एक काउंटर में छोड़कर जाती है जहां कोई और स्टॉफ ड्यूटी कर रहा होता है. जबकि फोन किसी अन्य स्टॉफ को जाता है कि उक्त पैसों को बैंक में जमा करना है. इसके बाद कल्पना स्वामी ज्वाईन करती है. इसी बीच कल्पना की संदिग्ध स्थिति को देखते हुए आरक्षण केंद्र में चोरी होने की रिपोर्ट जीआरपी को रेलवे अधिकारी देते है और इस मामले में बिना विभागीय जांच के कल्पना को आरोपी बताकर एफआईआर होती है और उसे जेल हो जाती है. वर्षों जेल में रहने के बाद वे होई कोर्ट से बरी होती है और कल्पना ने जो पैसे अपने बैंक खाते से निकालकर जीआरपी को जब्त करने दिए होते है वो और अन्य सामान सब कोर्ट से रिलीज होता है.
इसके बाद पुनः कल्पना को ज्वाईनिंग देने के लिए अधिकारी महीनों परेशान करते है, फिर कल्पना परेशान होकर सुसाइड की बात कहती है और ये खबर मीडिया में प्रकाशित होती है. जिसके बाद रेलवे नियमों के मुताबिक पुनः उसे ज्वाईनिंग दी जाती है. लेकिन यहां फिर ये सवाल आता है कि अब रेलवे के उस 1 लाख 77 हजार 560 रूपए का क्या हुआ, जो पद्मा ज्योति के पास से रिकवरी की जानी थी.
पिछले 10 वर्षों में रेलवे के अधिकारी न तो पद्मा ज्योति के खिलाफ कोई जांच करते है, बल्कि रिकवरी है ये जानकर भी उसका प्रमोशन होता है और वर्तमान में उन्हें सीआरएस बनाकर एक विशेष लाभ दिया जाता है, जिसका खुलासा लल्लूराम डॉट कॉम अपनी अगली कड़ी में करेगा. इस संबंध में सीआरएम पद्मा ज्योति से उनका पक्ष लेने उन्हें फोन किया गया, लेकिन उन्होंने इस संबंध में कोई भी बात करने से इनकार कर दिया.
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