Railway News: यू तो बिना जीएसटी नंबर के रेलवे में कोई भी अधिकृत वेंडर अपना लाइसेंस फीस कैश में जमा नहीं कर सकता है. लेकिन आपकी नीचे से लेकर ऊपर तक सेटिंग है तो संभवतः आपको GST चोरी करने में रेल अधिकारियों से भी मदद मिलेगी. रेलवे में जीएसटी चोरी की खबरें लगातार लल्लूराम डॉट कॉम उजागर कर रहा है.

 इस बीच एक चौंकाने वाली जानकारी लल्लूराम डॉट कॉम के हाथ लगी है. रायपुर रेलवे स्टेशन में मौजूद सन शाइन कैटरर्स बिना जीएसटी नंबर के हर महीने लगभग 6 लाख 96 हजार रूपए की लाइसेंस फीस कैश में रेलवे के पास जमा कर रहा है. जिसमें उसका जीएसटी नंबर भी अटैच नहीं है. ये दावा हम नहीं बल्कि सन साइन कैटरर्स के मैनेजर ने ही लल्लूराम डॉट कॉम से बताया है.

हुआ दरअसल कुछ यूं कि रायपुर रेलवे स्टेशन में मौजूद 1 दर्जन से ज्यादा टी स्टॉल, फूड ट्रॉली और फ्रूट ट्रॉली संचालित हो रही है. टीम ने टी स्टॉल से रेल नीर की एक पानी की बोतल खरीदी और बिल मांगा. जो बिल मिला उसमें जीएसटी (GST) नंबर मौजूद नहीं था. टीम ने उक्त बिल को लेजाकर कंपनी के मैनेजर श्रीकांत से मुलाकात की और कंपनी के जीएसटी नंबर के बारे में पूछा.

उन्होंने बताया कि कंपनी का जीएसटी नंबर तो है, लेकिन बिल में क्यों नहीं है इसकी जानकारी उन्हें नहीं है. इतना ही नहीं रेलवे स्टेशन के किसी भी स्टॉल में जीएसटी नंबर नहीं लिखा हुआ है. वहीं लल्लूराम डॉट कॉम की टीम ने जब उनसे ये पूछा कि वे लाइसेंस फीस कैसे जमा करते है ? तो उन्होंने बताया कि वो लाइसेंस फीस कैश में जमा करते है. अब सवाल ये है कि करीब-करीब 7 लाख रूपए की राशि बिना जीएसटी नंबर के कैसे रेलवे अधिकारी बतौर लाइसेंस फीस के रूप में ले रहे है ?

वहीं जीएसटी डिपार्टमेंट के लिए भी ये जांच का विषय है कि ऐसा कैसे संभव है और ये खेल कितने साल से ऐसे ही चलते आ रहा है और इसमें रेलवे के किन-किन अधिकारियों की मिली भगत है. लल्लूराम डॉट कॉम की टीम ने कंपनी के मैनेजर से उनकी फर्म का जीएसटी नंबर भी मांगा, लेकिन उन्होंने कंपनी के उच्च पदाधिकारियों से लेकर देने की बात कही.

GST नंबर हमारे ऑफिस में होता है, वेंडर रेलवे को जितना चाहे कैश दे सकता है

इस संबंध में सीनियर डीसीएम रायपुर डॉ विपिन वैष्णव का कहना है कि रेलवे के अधिकृत वेंडरों का जीएसटी नंबर रेलवे के पास होता है. वे जितना चाहे कैश रेलवे को दे सकते है, क्योंकि इसकी रसीद रेलवे देती है.

क्या है जीएसटी रूल

GST रूल के मुताबिक यदि आप सालाना 20 लाख रुपए से अधिक का लेन-देन करते है तो आपको जीएसटी नंबर अनिवार्य है. यदि आपने जीएसटी नंबर लिया है, तो इसे अपने फर्म में चस्पा करना और बिल में लिखना जरूरी है. उक्त केस में दावा है कि कंपनी के पास जीएसटी नंबर है. लेकिन न तो बिल में इसका जिक्र है और न ही किसी भी टी-स्टॉल में.

तो क्या पूरा काम होता है कच्चे में ?

अब सवाल ये है कि यदि 7-7 लाख रूपए लाइसेंस फीस कंपनी कैश में रेलवे को दे रही है. तो क्या कंपनी के पास अपना कोई बैंक अकाउंट रायपुर में नहीं है ? यदि बैंक अकाउंट है तो इतनी बड़ी राशि कैश में क्यों ? इतना ही नहीं कंपनी की रोजाना सेल एवरेज में 10-11 हजार रूपए की है. ऐसे में हर महीने एक स्टॉल की सेल 3 लाख 30 हजार रुपए होती है और सालाना करीब 40 लाख. ये तो हुई एक स्टॉल की बात ऐसे रायपुर में इस फर्म के 14 स्टॉल है. अब आप ही अपने केलकूलेटर से ये हिसाब कर सकते है कि सालाना कितने का टर्नओवर इस फर्म का होगा.