रायपुर। छत्तीसगढ़ में कोरोना के मामले खात्मे की ओर है. नए मरीजों की संख्या घटकर सवा सौ तक पहुंच गई है. आम दिनों की तरह हाट-बाजार, रेस्टारेंट, सिनेमाघर खुलने लगे हैं. लेकिन रेलवे इस स्थिति से बेपरवाह है. आज भी मेल-एक्सप्रेस के साथ-साथ लोकल ट्रेनों को स्पेशल ट्रेन के नाम से चलाकर सामान्य से तीन गुना किराया वसूल रहा है, वहीं नियमित रूप से चलने वाली लोकल ट्रेनों के परिचालन से परहेज कर रहा है. इसका सबसे ज्यादा खामियाजा रोजाना हजारों की संख्या में यात्रा करने वाले नौकरीपेशा लोगों को भुगतना पड़ रहा है.
रायपुर और दुर्ग-भिलाई के बीच रोजाना हजारों की संख्या में दैनिक यात्री ट्रेनों के जरिए सफर करते हैं. बीते साल मार्च-अप्रैल में कोरोना केस सामने आने के बाद रेलवे के परिचालन पर पड़े असर से इनकी आना-जाना खासा प्रभावित हुआ था. अब जब स्थिति सामान्य हो गई है, फिर से लोकल ट्रेनों का परिचालन नियमित नहीं किए जाने से रोजाना परेशानी उठानी पड़ रही है. तमाम दैनिक यात्री उम्मीद लगाए हैं कि रेलवे अब-तब लोकल ट्रेनों की सेवा नियमित करेगा, लेकिन ऐसे आसार नजर नहीं आ रहे हैं.
खतरनाक सड़क और बस का खर्चीला सफल
दुर्ग-भिलाई, राजनांदगांव से नौकरी के सिलसिले में नियमित रूप से रायपुर आने वाले लोगों ने लल्लूराम डॉट कॉम से चर्चा में अपनी परेशानियों को बयां किया. इंदरभूषण तिवारी बताते हैं कि लगभग दो साल से लोकल ट्रेनों के नहीं चलने से उन्हें भारी कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है. जितेंद्र कुमार बताते हैं कि बस के साथ-साथ निजी वाहन से रायपुर आने-जाने बहुत ही कष्टकर है. पेट्रोल की कीमत आसमान छूने से रोजाना आना-जाना मुश्किल है, वहीं रायपुर-दुर्ग रोड पर हर वक्त जान जोखिम में डालकर चलना होता है.
7.10 और 8.40 की लोकल शुरू करने की मांग
दुर्ग से आने वाले आनंद यादव कहते हैं कि लॉकडाउन के कारण ट्रेनों का परिचालन बंद किया गया था. लेकिन अब तो स्थिति लगभग सामान्य है, ऐसे में नियमित चलने वाली लोकल ट्रेनों को तो फिर से शुरू किया जा सकता है. हालांकि कुछ लोकल ट्रेनों को शुरू किया गया है, लेकिन रात 7.10 बजे और 8.40 को चलने वाली ट्रेनों को शुरू नहीं किया गया है, जिससे उन्हें बहुत परेशानी का सामना करना पड़ा रहा है. अमित चंद्राकर उनकी बात पर सहमति जताते हुए कहते हैं कि इन दोनों ट्रेनों के नहीं चलने से उन्हें बस का सहारा लेना पड़ता है, जिससे उनकी जेब पर असर पड़ता है.
एक्सप्रेस-मेल का नहीं मिलता टिकट
दैनिक यात्री अभिमन्यु श्रीवास्तव कहते हैं कि जैसे अन्य लोकल ट्रेनों को शुरू किया गया है, उसी तरह से रात को 7.10 और 8.40 पर चलने वाली लोकल ट्रेनों को भी शुरू किया जाए. मजबूरी में उन्हें अपराधबोध लिए बिना टिकट के एक्सप्रेस और मेल में सफर करना पड़ता है. समस्या यह है कि रेलवे दुर्ग-भिलाई के लिए इन ट्रेनों का टिकट भी नहीं देता है. इस ऐसे में कई बार टीटीई के लिए वसूली का जरिया बन जाते हैं. टीकम देवांगन कहते हैं कि रेलवे इन दोनों लोकल ट्रेनों का नियमित परिचालन कर उनकी तरह हजारों यात्रियों को राहत दी जा सकती है.
किराया कम करने के साथ एमएसटी की मांग
दुर्ग से रोजाना रायपुर सफर करने वाले हेमराज साहू कहते हैं कि लोकल ट्रेनों को स्पेशल ट्रेन के नाम से चलाकर रेलवे उनसे 10 रुपए की जगह 30 रुपए किराया वसूल रही है. यही नहीं कोरोना के शुरू होने से बाद से अब तक एमएसटी को चालू नहीं किया गया है. उनके जैसे हजारों नौकरीपेशा दोनों की चीजे भारी पड़ रही हैं. रोज-रोज तीन गुना किराया देना जेब पर भारी पड़ता है. रेलवे को किराया कम करने के साथ-साथ एमएसटी भी शुरू करनी चाहिए.
छोटा गेट बंद होने से लोगों को बड़ी परेशानी
रायपुर रेलवे स्टेशन के प्लेटफॉर्म वन-ए पर लोकल ट्रेनों का आना-जाना होता है. लॉकडाउन के बाद से प्लेटफार्म से लगे छोटे गेट को बंद कर दिया गया है, जिसकी वजह से मुख्य गेट तक का लंबा सफर करना पड़ता है. यह परेशानी बुजुर्गों, महिलाओं और बच्चों के लिए भारी पड़ती है. अंकिता राजवाड़े कहती हैं कि रेलवे को अपनी सुविधा की बजाए यात्रियों की परेशानी समझनी चाहिए. लोकल ट्रेनों को शुरू करने के साथ छोटे गेट को खोला जाना चाहिए. इससे यात्रियों की परेशानी कम होगी.