प्रतीक चौहान. रायपुर. आपने वर्दी में महिला इंस्पेक्टर को चोरों को दबोचते, पॉकिटमारों को पकड़ते और ऐसे मामलों के खुलासे करते हुए तो देखा होगा. लेकिन क्या आपने कभी वर्दी में किसी महिला इंस्पेक्टर को पंडवानी गाते देखा है… शायद नहीं, तो चलिए आपको ये पूरा माजरा बताते है.


राजनांदगांव रेलवे स्टेशन में मुख्यमंत्री तीर्थ योजना पर जाने वाली ट्रेन रूकी. ट्रेन के रूकने के बाद यात्रियों के स्वागत कार्यक्रम आयोजित किया गया था. इस दौरान वहां मौजूद कलाकारों ने माइंक से ये अनाउंसमेंट कर दिया कि वहां प्रसिद्ध पंडवानी गायिका मौजूद है. इसके बाद बुजुर्गों के सम्मान और स्वागत में आरपीएफ इंस्पेक्टर तरूणा साहू पंडवानी गाते हुई नजर आई, उन्हें वर्दी में पंडवानी गाते देख सभी दंग रह गए. आपको बता दें कि उक्त इंस्पेक्टर ने पंडवानी पद्मश्री, पद्मभूषण और पद्मविभूषण प्राप्त तीजन बाई से ही सीखा है.
पंडवानी: छत्तीसगढ़ की महाकाव्य गायन परंपरा
पंडवानी छत्तीसगढ़ की एक समृद्ध और प्राचीन लोक गायन शैली है जिसमें महाभारत की पांडवों की कथाओं को नाटकीय और संगीतमय ढंग से प्रस्तुत किया जाता है. इसका शाब्दिक अर्थ “पांडववाणी” यानी पांडवों की कथा है. यह एकल नाट्य शैली है, जिसमें गायक या गायिका (कथावाचक) महाभारत के प्रसंगों को गीत, संवाद और अभिनय के माध्यम से जीवंत करते हैं. पंडवानी में पांडवों में से भीम को विशेष रूप से नायक के रूप में उभारा जाता है. यह परंपरा छत्तीसगढ़ की परधान और देवार समुदायों से जुड़ी है और ग्रामीण चौपालों से लेकर अंतरराष्ट्रीय मंचों तक अपनी पहचान बना चुकी है.