भागलपुर। घरेलू विवाद ने एक रेलवे कर्मचारी की जान ले ली। भागलपुर के तिलकामांझी थाना क्षेत्र में रेलवे ट्रैकमैन मुकेश कुमार ने पारिवारिक कलह से परेशान होकर जहरीला पदार्थ खा लिया। हालत बिगड़ने पर उन्हें जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज अस्पताल (JLNMCH) में भर्ती कराया गया, जहां इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई। पुलिस मामले की जांच कर रही है और मौत के पीछे घरेलू विवाद को अहम कारण मान रही है। मृतक मुकेश कुमार नालंदा जिले के अस्थावां थाना क्षेत्र के अन्दी गांव के निवासी थे। वर्तमान में उनकी पोस्टिंग पूर्णिया रेलवे डिवीजन में थी लेकिन वे अपनी पत्नी अनीता कुमारी के साथ भागलपुर के तिलकामांझी क्षेत्र में किराए के मकान में रहते थे। अनीता जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज अस्पताल में बतौर नर्स कार्यरत हैं।

विवाद के बाद खाया जहर

परिजनों के अनुसार, मुकेश हाल ही में पूर्णिया से भागलपुर आए थे। घर लौटने के बाद पत्नी से किसी बात को लेकर कहासुनी हुई, जिसके बाद उन्होंने जहरीला पदार्थ खा लिया। हालत बिगड़ने पर उन्हें JLNMCH लाया गया, लेकिन डॉक्टरों ने उन्हें बचा नहीं पाए। अस्पताल प्रशासन ने मौत का कारण जहरीला पदार्थ बताया है।

तीन साल पहले तलाक तक पहुंच चुका था मामला

मृतक के भाई दयानंद ने बताया कि मुकेश और उनकी पत्नी के बीच लंबे समय से अनबन चल रही थी। तीन साल पहले दोनों के रिश्ते में इतनी कड़वाहट आ गई थी कि मामला तलाक तक पहुंच गया था। छह साल पहले मुकेश को पैरालिसिस भी हुआ था, लेकिन इलाज के बाद वे स्वस्थ हो गए थे। इसके बावजूद पत्नी का व्यवहार उनके प्रति उदासीन बना रहा। परिवार में एक बेटी है, जबकि डेढ़ साल पहले उनके एक बेटे की मौत हो चुकी है। दयानंद ने बताया कि उन्हें भतीजी ने फोन पर बताया कि मुकेश की तबीयत अचानक बिगड़ गई है। जब तक वे अस्पताल पहुंचे, मुकेश की मौत हो चुकी थी।

पुलिस कर रही जांच

मुकेश की मौत के बाद पत्नी अनीता जब अस्पताल पहुंचीं तो पुलिस ने उनसे पूछताछ की। सूत्रों के अनुसार अनीता के जवाब पुलिस को संतोषजनक नहीं लगे। पूछताछ के बाद वह शव अस्पताल में ही छोड़कर घर लौट गईं। फिलहाल बरारी थाना पुलिस इस मामले की छानबीन में जुटी है और परिवार के सदस्यों से भी पूछताछ की जा रही है।

पारिवारिक कलह ने ले ली जान

यह मामला एक बार फिर यह सोचने पर मजबूर करता है कि घरेलू तनाव और मानसिक दबाव किस हद तक घातक हो सकते हैं। मानसिक स्वास्थ्य को लेकर समाज में अब भी जागरूकता की कमी है, जिसका खामियाजा कई बार लोगों को अपनी जान गंवाकर भुगतना पड़ता है।