नई दिल्ली। रेलवे की मालगाड़ियां अब एक के ऊपर एक साथ तीन कन्टेडरों पर सामान ढोएंगी, इससे मालगाड़ी की रफ्तार बढ़ाने में मदद मिलेगी। ये ट्रिपल कंटेनर मालगाड़ियां खासतौर पर डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर पर चलाई जाएंगी। इस संबंध में रेल, संचार, इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी अश्विनी वैष्णव ने सोमवार को माल लदान इकाइयों का निरीक्षण किया। अश्विनी वैष्णव ने रेवाड़ी के निकट पाली स्थित कल्याणी कास्ट टैक प्रा. लि. द्वारा विशेष प्रकार के निर्मित कंटेनर का जायजा लिया और उनकी तकनीकी उपयोगिता की जानकारी प्राप्त की।
माल गाड़ियों के लिए यह कंटेनर विशेष रूप से छोटे उद्यमियों, व्यापारियों व किसानों के उपयोग को ध्यान में रखकर बनाए जा रहे हैं। अश्विनी वैष्णव ने कंटेनर की निर्माण प्रक्रिया का जायजा लेने के बाद कहा कि केंद्र सरकार की सभी योजनाओं का लाभ प्रत्येक वर्ग को प्राप्त हो इसको ध्यान में रखकर हम कार्य कर रहे हैं। जिसमें हम रेलमार्ग, सड़क मार्ग व जलमार्ग से अधिकाधिक सामान का ट्रांसपोर्ट व्यवस्थित व तीव्र गति से करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।
उन्होंने कहा कि नई तकनीक से तैयार विशेष प्रकार के यह कंटेनर किसानों व छोटे उद्यमियों को उनके व्यवसाय में लाभ प्रदान करने में उपयोगी साबित होंगे। इन छोटे कंटेनर में 32 टन तक सामान आ सकता है और इनको इस तरह से तैयार किया गया है कि उनके ऊपर तथा दोनों तरफ से खोलकर सामान को लोड-अनलोड किया जा सकता है, जिसके कारण यह छोटे व्यापारियों तथा किसानों के लिए बेहतर विकल्प बन सकता है।
अश्विनी वैष्णव ने काठूवास स्थित कंटेनर साइडिंग का निरीक्षण दौरान लिफ्टिंग क्रेन द्वारा विभिन्न प्रकार के कंटेनर्स को ट्रेन पर लोड करने की प्रक्रिया को बारीकी से देखा। खाटूवास कंटेनर साइडिंग से अभी तक डबल स्टैक कंटेनर का परिवहन किया जाता था। अब रेल मंत्री की उपस्थिति में ट्रिपल स्टैक कंटेनर को लोड कर नई शुरूआत की गई है। रेल मंत्री ने कहा कि हम नई तकनीक को अपनाकर अधिक क्षमता के साथ कम राजस्व में बेहतर परिणाम को प्राप्त करें तथा अन्तोदय की भावना से कार्य करते हुए निरंतर प्रगति की ओर अग्रसर हों।
गौरतलब है कि रेलवे ने इसी साल वेस्टर्न कॉरिडोर की शुरूआत की है, जिसके बाद ईस्टर्न और वेस्टर्न कॉरिडोर मिलाकर 3000 किलोमीटर की डेडिकेटेड फ्रंट कॉरिडोर की शुरूआत की गई है। जिस पर माल ढुलाई का काम किया जा रहा है। अभी तक यात्री ट्रेन और माल वाहक ट्रेनें एक ही लाइन पर चलती थीं। माल ढुलाई वाली ट्रेनों की गति धीमी होती है, इसलिए ट्रिपल कंटेनर ट्रेनों की शुरूआत की गई है। डेडीकेटेड कॉरिडोर और ट्रिपल कंटेनर मालगाड़ी से लागत में कमी आएगी।